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Crocodile and Brahmin’s Panchatantra Story in Hindi
मगरमच्छ और ब्राह्मण
एक बार एक मगरमच्छ एक दलदल में फँस गया। उसने एक ब्राह्मण से अनुरोध किया कि वह उसे दलदल से निकालकर पास के नदी में छोड़ दे। ब्राह्मण मगरमच्छ की बात मान गया और उसने उसे दलदल से निकालकर एक बोरे में भर लिया। जब ब्राह्मण मगरमच्छ को नदी में छोड़ने गया तब मगरमच्छ ने उसे अपने विशाल जबड़े में दबोच लिया।
ब्राह्मण चिल्लाया, “तुम मेरे अहसान का बदला मुझे खाकर चुकाना चाहते हो!” मगरमच्छ ने जवाब दिया, “क्यों! अगर मैं तुम्हें खाऊँगा नहीं तो मेरा पेट कैसे भरेगा? ” ब्राह्माण ने कहा, “लेकिन मैंने तुम्हारी जान बचाई है।” मगरमच्छ बोला, “वह सब मुझे नहीं पता। मुझे बस तुम्हें खाकर अपना पेट भरना है।”
ब्राह्मण बड़ी मुश्किल में पड़ गया। वह सोचने लगा कि कैसे इस मागरमछ से अपना जान बचाया जाएं। ब्राह्मण ने कहा, “क्यों न हम किसी से फैसला करवा लें?” मगरमच्छ मान गया।
उसी रास्ते से एक एक लोमड़ी गुजरता हुआ जा रहा था। ब्राह्मण ने उस लोमड़ी से अनुरोध किया कि वह उन दोनों का झगड़ा सुलझा दे। लोमड़ी बोली, “मैं तुम दोनों का झगड़ा सुलझा दूँगा लेकिन पहले तुम मुझे यह दिखाओ कि तुम मगरमच्छ को बोरी में भरकर कैसे लाए थे। अब वे तीनों वापस उसी दलदल के सामने आ गए। ब्राह्मण ने फिर से मगरमच्छ को दलदल में डाल दिया। फिर ब्राह्मण और लोमड़ी ने मगरमच्छ को उसी दलदल में फँसा छोड़कर भाग निकला।
इस कहानी से सीख, Moral of The Story:
बुद्धि हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किल भी सुलझा सकते हैं।
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