शिकारी और खरगोश की कहानी Hunter and Rabbit Story in Hindi
शिकारी और खरगोश की कहानी
एक निर्दयी शिकारी था। वह शिकारी खरगोशों को पकड़ा करता था और उनका माँस बड़े मजे से खाया करता था। एक दिन, शिकारी ने फिर से एक खरगोश पकड़ा और उसका कान पकड़कर जबरदस्ती अपने घर ले चला। घर आते वक़्त रास्ते में उसे एक साधु मिला। साधु ने शिकारी से कहा, “बेटे, इस मासूम खरगोश को छोड़ दो इसके बदले तुम्हें जरूर पुण्य मिलेगा।”
निर्दयी शिकारी ने साधु का कहा इन्कार कर दिया। उसने वहीं साधु के सामने ही निर्दयतापूर्वक खरगोश की गर्दन काटने का निश्चय किया।
शिकारी ने अपने थैले से बड़ा धारदार चाकू निकाला। वह चाकू से खरगोश को काटने ही वाला था कि चाकू फिसलकर उसी के पैर पर गिर पड़ा। शिकारी का पैर बहुत बुरी तरह से कट गया और खून बहने लगा। शिकारी दर्द से चिल्लाने लगा और उसके हाथ से खरगोश छूट गया।
शिकारी को अपने पाप का दंड वहीं मिल गया। उसका पैर बुरी तरह से कट गया था, इसलिए वह ठीक से चलने लायक भी नहीं रहा और न ही दोबारा कोई शिकार कर पाया।
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