Brahmin and Goat Panchatantra Story in Hindi
ब्राह्मण और बकरी
बहुत समय पहले एक ब्राह्मण रहता था। एक दिन वह कंधो पर बकरी लादकर अपने घर जा रहा था। रास्ते में उसे तीन ठग मिल गए। उन ठगों का पूरा गिरोह था, जो योजना बनाकर लोगों को ठगा करता था। उनका सारा काम सुनियोजित हुआ करता था। जब ठगों ने बकरी लादे ब्राह्मण को देखा, तो वे उसकी बकरी ठग लेने के बारे में सोचने लगे। दिन का समय था, इसलिए छीनकर बकरी ले पाना संभव नहीं था क्यूंकि सड़क पर बहुत सारे लोग आ-जा रहे थे।
हालाँकि, चोरों ने ब्राह्मण का पीछा करना जारी रखा और उसके किसी एकांत स्थान तक पहुँचने की प्रतीक्षा करने लगे। बाज़ार से उसका घर काफी दूर था। कुछ दूर चलने के बाद ब्राह्मण को एक जंगल से भी गुजरना पड़ा। वहाँ पर रास्ता सुनसान था। ठगों ने सोचा कि यही जगह ब्राह्मण को ठगने के लिए ठीक रहेगी। उन्होंने योजना बना ली थी। तीनों ठग जंगल में अलग-अलग जगह खड़े हो गए, ताकि ब्राह्मण को यह न लगे वे एक साथ हैं।
ब्राह्मण की बकरी छीन लेने की उनकी योजना तैयार थी। उन्हें बस सही समय की प्रतीक्षा थी। उनमें से एक ठग रास्ते में ब्राह्मण के सामने आया और चेहरे पर आश्चर्य के भाव लाकर बोला, “अरे, इस गंदे कुत्ते को अपने कंधों पर क्यों लादे जा रहे हो?”
ब्राह्मण नाराज़ होने लगा। “अंधे हो क्या?” उसने ठग को डाँट दिया। “दिखाई नहीं देता की मैं बकरी लिए जा रहा हूँ?”
ठग ने जवाब दिया, “मुझे तो बकरी नहीं, कुत्ता दिख रहा है।” उसने बकरी का चेहरा और शेष शरीर देखा, फिर ठग से कहा, “मुझे पूरा विश्वास है की यह बकरी ही है, कुत्ता नहीं। या तो तुमने कभी बकरी देखि नहीं, या तुम पागल हो गए हो। जो भी हो, मुझे घर जाने दो।” ब्राह्मण कुछ भ्रमित-सा आगे चल पड़ा। तभी दूसरा ठग सामने आ गया और कहने लगा, “हे भगवान! अपने कंधों पर इस मरे हुए बछड़े को क्यों लिए जा रहे हो?”
ब्राह्मण इस बार और अधिक भ्रमित हो गया। उसे अपने आप पर ही विश्वास नहीं रहा। तभी ठगों का तीसरा साथी भी वहाँ आ गया और कहने लगा, “मरा बछड़ा तो बहुत अशुभ माना जाता है। हो न हो, इस जानवर में कुछ तो विशेष बात है! सायद यह कोई प्रेत है, जो अपना रूप बदल रहा है।” यह सुन ब्राह्मण के अंदर डर पैदा हो गया। उसने बकरी को वहीं निचे उतार दिया और तेजी से चलता हुआ अपने घर आ गया। ठगों ने तुरंत बकरी को पकड़ लिया और अपने साथ ले गए।
इस कहानी से सीख, Moral of The Story:
हर किसी को अपनी खुद की बुद्धि पर ही विश्वास करना चाहिए।
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