Paanchatantra Ki Kahani Hans Aur Ulloo, पंचतंत्र की कहानी हंस और उल्लू
पंचतंत्र की कहानी: हंस और उल्लू
बहुत समय पहले, एक झील के किनारे एक हंस रहता था। एक उल्लू भी वही आकर रहने लगा। वे दोनों साथ में ख़ुशी-ख़ुशी एक साथ रहने लगे। दोनों बहुत अच्छे मित्र बन चुके थे।
जब गर्मियों का मौसम आया, तो उल्लू वापस अपने घर जाने के बारे में सोचने लगा। उसने अपने मित्र हंस को भी अपने साथ उसके घर चलने को कहा। हंस बोला, “जब नदी सुख जाएगी, तब मैं तुम्हारे पास आ जाऊँगा।”
कुछ महीनों के बाद उस नदी का पानी सुख गया जहाँ वह हंस रहता था। अब हंस अपने मित्र उल्लू के पास जाना चाहता था। वह उल्लू के पास उसके बरगद के पेड़ पर पहुँच गया।
हंस को बहुत जल्दी सोने की आदत थी इसलिए वह बरगद के पेड़ के ऊपर सो गया। तभी कुछ राहगीर वहाँ से निकले और आराम करने के लिए उसी पेड़ के निचे बैठ गए। उन राहगीरों को देखकर, उल्लू जोर से चिल्लाया। राहगीरों ने इसे अपशकुन माना और उल्लू पर तीर से निशाना मार दिया। उल्लू को तो अँधेरे में दीखता था इसलिए वह तीर से बच गया और उड़ गया। उसके बदले में वह तीर हंस को लग गया और वह मर गया!
इस कहानी से सीख, Moral of The Story:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि नई जगह पर हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए।
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