इस कहानी का नाम है “तीन पहेलियां | The Three Puzzles Story in Hindi” उम्मीद करते हैं आपको यह कहानी जरूर ही पसंद आएगी।
तीन पहेलियां
The Three Puzzles Story in Hindi
बहुत पुरानी बात है, एक गांव में रामू नाम का एक गरीब आदमी रहता था। उसकी पत्नी गुजरने के बाद वह एकेला ही अपने बेटे राजू के साथ रहता था। रामू जंगल में जाता और सुखी लकड़िया तोड़ता और उसे बाजार में बेचकर अपना पेट पालता।
एक दिन, जब रामू जंगल जाने के लिए तैयार हुआ तभी अचानक उसे चक्कर आ गया और वह जमीन पर गिर गया। उसके बेटे राजू ने उसे उठाया और बिस्तर पर लेटाया। रामू को अब लकवा मार गया था। रामू अब बिस्तर से भी नहीं उठ पाता था। राजू ने बहुत सारे डॉक्टर और बैद्य को बुलाया और रामू का इलाज करवाया। पर कुछ फायदा न हुआ। राजू से अपने पिता की हालत देखि नहीं जा रही थी।
तभी वह एक संत के पास गया और बोला, “संत जी, कृपा मेरी मदद करे।” संत बोला, “क्या हुआ बेटा? तुम इतने दुखी क्यों हो? राजू बोला, “संत जी, मेरी माँ गुजर गई है और अब मेरी पिताजी की हालत भी अच्छी नहीं है। मैंने बहुत इलाज करवाया पर कोई फायदा नहीं हुआ। अगर मेरे पिताजी को कुछ भी हो गया तो मैं अनाथ हो जाऊँगा।” ऐसा कहकर राजू रोने लगा।
संत ने उससे कहा, “अगर तुम तुम्हारे पिताजी को ठीक करना चाहते हो तो पछिम दिशा में एक जंगल है, उस जंगल में जाकर तुम्हे एक जड़ीभूति लानी पड़ेगी। उससे तुम्हारे पिताजी ठीक हो जायेंगे।”
संत की बात सुनकर राजू खुश हो गया। तभी संत बोला, “जड़ीभूति लाना इतना आसान नहीं है। उस जंगल में भयानक राक्षस रहता है। वह तुमसे कुछ पहेलियां पूछेगा और अगर तुमने उन पहेलियों का सही जवाब दिया तो वह तुम्हे जड़ीभूति दे देगा।”
संत की बात सुनकर राजू अकेला ही पश्चिम दिशा की ओर चल पढ़ा। वह जंगल सचमे भयानक था। आगे चलते चलते राजू को वह राक्षस दिखाई दिया।
राजू उसके पास गया और बोला, “क्या आपके पास वह जादुई जड़ीभूति है? क्या आप मुझे वह दे सकते हो? मेरे पिताजी बहुत बीमार है।” राक्षस बोला, “बच्चे, मैं तुम्हारे हिम्मत की दात देता हूँ। तुम अकेले ही मेरे पास चले आए। अगर तुमने मेरे तीन पहेलियों के जवाब दिए तो मैं तुम्हे जड़ीभूतिया दे दूंगा। बोलो तैयार हो?”
राजू ने कहा, “हाँ, मैं तैयार हूँ। मेरे पिताजी के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ। पूछो तुम्हारी पहेलियां।”
तब राक्षस ने पहली पहेली पूछी, चींटी के आगे दो चींटी चींटी के पीछे दो चींटी, बोलो कितनी चींटी? राजू ने थोड़ा सोचा फिर बोला, “तीन चींटी।” राक्षस वोला, “बहुत खूब, अब दूसरी पहली का जवाब दो।”
राक्षस ने दूसरी पहली पूछा, “मैंने बिश को काट दिया, फिर भी न कानून तोड़ा न खून किया, बताओ फिर मैंने क्या किया?” राजू बोला, “नाख़ून काटा।”
उसकी बात सुनकर राक्षस खुश हुआ और हसने लगा।” फिर उसने तीसरी और आखरी पहली पूछी, “ऐसी कौनसी चीज है जो ठंडा होने पर काली, गर्म करने पर लाल और फेकने पर सफेद हो जाती है।”
राजू अब थोड़ा सा सोच में पड़ गया। राक्षस जोर से हसने लगा, तभी राजू झट से बोला, “कोयला।” राक्षस बोला, “बच्चे तूने मुझे खुश कर दिया। यह लो जड़ीभूति। और अपने पिताजी का इलाज करवाओ।”
राजू ने उसे सुक्रिया कहा और वहां से चला गया। घर आते ही उसने जड़ीभूति अपने पिता को खिलाई। तुरंत ही राजू के पिता अच्छे हो गए।
सिख – इस कहानी से यह सीख मिलती है की “हमें अपने माता-पिता के लिए जो भी संभब है वह करना चाहिए, चाहे उसमे लाख संकट क्यों न आए।”
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