चींटी और टिड्डा Ant and The Grasshopper Story in Hindi
चींटी और टिड्डा
सर्दियों के एक ठन्डे ठन्डे दिन में,चींटियों की एक बस्ती, मकई के कुछ दानों को सुखाने में ब्यस्त थे जो गीले शरद ऋतू के मौसम में नम हो गए थे।
ठण्ड और भूख से तड़पता हुआ टिड्डा एक चींटी के पास आकर बोला, “कृपया मेरी जान बचाने के लिए मुझे अपने मकई के दाने से दो एक दाना दो। ”
चींटी ने टिड्डे से कहा, “हमने इस मकई के दानों को प्राप्त करने के लिए दिन रात मेहनत की। मैं इसे आपको क्यों दूँ? पिछली गर्मी में आप जो कुछ भी कर रहे थे तब आपको अपना भोजन जुटाना चाहिए था।”
टिड्डेने ने कहा, “मेरे पास इस तरह के चीजों के लिए समय नहीं था। मैं तब गाने और मौज मस्ती करने में बहुत ब्यस्त था। ”
चींटी हंस कर बोली, “जिस समय तुम गाने और मौज मस्ती करने में ब्यस्त थे उस समय मैं खाना जुगाड़ करने में ब्यस्त था। दिन रात मेहनत करके मकई के दाने जुगाड़ किये आने वाले कल के लिए। अगर तुमने भी उस समय हमारी तरह मेहनत करके खाना जुगाड़ किया होता तो फिर आज तुम्हे यह दिन नहीं देखना पड़ता। ” फिर चींटी बिना एक भी शब्द कहे वहां से चला गया।
शिक्षा – इस कहानी से हमे यह सिख मिलती है की हमे अपने दैनिक जरूरतों के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए और दुसरो की दया के ऊपर भरोसा नहीं करना चाहिए।
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