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स्टीव जॉब्स की सफलता की कहानी | Success story of Steve Jobs in Hindi

स्टीव जॉब्स की सफलता की कहानी | Success story of Steve Jobs in Hindi

Posted on October 14, 2020

Contents

  • 1 Success story of Steve Jobs in Hindi
    • 1.1 स्टीव जॉब्स की सफलता की कहानी
    • 1.2 स्टीव जॉब्स की सफलता की कहानी – Success story of Steve Jobs
    • 1.3 स्टीव जॉब्स की मौत -Death of Steve Jobs
        • 1.3.0.1 यह भी पढ़े:-

Success story of Steve Jobs in Hindi

 

स्टीव जॉब्स की सफलता की कहानी

इस बात को याद रखना की में बोहोत जल्दी मर जायूँगा क्युकी जब में एकबार मौत के बारेमे सोचता हु तब सारि उमीद सारा गर्व असफल होने का डर सबकुछ गायब हो जाता है  और सिर्फ वही बचता है जो की बाकई में जरुरी है ऐसा कहना है दुनिया के सबसे प्रभाबशाली ब्यक्ति स्टीव जॉब्स  का जिन्होंने अपने संघर्ष के दम पर वे मुकाम हासिल किया जो की हर किसीके बस की बात नहीं।

 

Apple कंपनी के को फाउंडर स्टीव जॉब्स केबल एक अमेरिकन बिज़नेसमैन और इन्वेंटर ही नहीं थे बल्कि उन्हें बिश्व के एक मोटिवेशनल स्पीकर्स के रूप में भी एक उचा दर्जा दिया गया है।

 

स्टीव जॉब्स की सफलता की कहानी – Success story of Steve Jobs

स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फेब्रुअरी 1955 को कैलिफोर्निया में हुआ था। स्टीव की माँ कॉलेज में पड़ने के दौरान ही  स्टीव को जन्म दिया था और तब उनकी शादी किसी से नहीं हुयी थी इसी बजह से वे स्टीव को अपने पास नहीं रखना चाहती थी और उनोहने स्टीव को किसीको गोद देने का फैसला कर लिया।

 

स्टीव जॉब्स को कैलिफोर्निया में रहने वाले पॉल और कालरा जॉब्स ने गोद लिया। पॉल और कालरा मिडिल क्लास फॅमिली से थे इसलिए उनके पास ज़ादा पैसे नहीं हुआ करते थे फिर भी वे स्टीव की हर जरूरतों को  पूरा करते थे और उन्हें सबसे अच्छे स्कूल में पढ़ाया। स्टीव की प्रारंभिक शिक्षा मोंटा लोमा स्कूल में हुई और सन 1972 में अपने कॉलेज के पढ़ाई के लिए ओरिगिन के रीड कॉलेज में एडमिशन ले लिया जो की वहां की सब्सि मांगी कॉलेज थी जिसकी बजह से उनके माता पिता हर प्रयाशो के बाद भी उनकी फी नहीं भर पाते थे।

 

स्टीव को भी अपने घरवालों को बड़ी समस्या में देखकर रहा नहीं गया उनोहने फी भरने के लिए वीकेंड्स में कोल्ड्रिंक्स के बोतल बेचना शुरू कर दिया और पैसे के कमी के कारन पास के मंदिर में जाकर वहां मिलने वाले मुफ्त का खाना खाने लगे। अपने होटल का किराया बचाने के लिए अपने दोस्त के कमरे में जमीन पर ही सो जाया करते थे। इतना कुछ करने के बाबजूद वे अपना फी नहीं भर पाते थे और अपने माता पिता को कड़ी मेहनत करते देख उनसे रहा नहीं गया और  उन्होंने कॉलेज छोड़ दी।

 

स्टीव जॉब्स की सफलता की कहानी | Success story of Steve Jobs in Hindi
Success story of Steve Jobs in Hindi

उसके बाद उनोहने अपना पूरा समय अपने पहले से सोचे हुए बिज़नेस पर लगाने लगे। स्टीव ने अपने स्कूल के दोस्त के साथ मिलकर अपने पिता के छोटे से गराज में ऑपरेटिंग सिस्टम Mackintosh तैयार किआ और इस ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर को बचने के लिए Apple नाम के कंप्यूटर का निर्माण करना चाहते थे  पैसो के कमी के कारन वे ऐसा नै कर पा रहे थे। उनकी यह समस्या उनके एक दोस्त ने दूर करदी और उसके बाद सन 1976 में मात्र 20 बर्ष के उम्र में उन्होंने Apple कंपनी की सुरुवात की।

 

स्टीव और उनके दोस्तों के कड़ी मेहनत से देखते ही देखते कुछ सालो में Apple कंपनी एक छोटे से गराज से बढ़कर 2 अरब डोलर और 4000 कर्मचारीवाली कंपनी बन चुकी थी लेकिन स्टीव की यह उपलब्धि ज़ादा दिन तक नहीं रही उनके पार्टनर्स दुआरा उनको न पसंद किये जाने और आपस में कहिसुनि होने के कारन Apple कंपनी के लोकप्रियता कम होने लगी और धीरे धीरे कंपनी कर्ज में डूब गयी। जिसके बाद बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर की मीटिंग हुयी और उसमे सारे दोष स्टीव को ठहराकर 1985 में उन्हें कंपनी से बहार कर दिया। यह उनके जीबन का सबसे दुखत पल था क्युकी जिस कंपनी को उन्होंने कड़ी मेहनत और लगन से बनाया था उसीने उन्हें निकाल दिया था।

 

स्टीव के जाते ही कंपनी की हालत और भी बत्तर होती जा रही थी। Apple से निकलकर कुछ सालो बाद स्टीव ने Next-Ink और Pixler नाम की 2 कंपनी की सुरुवात की  और वे भी काफी सफल रही। Apple अब धीरे धीरे टूटती जा रही थी और ऐसा देखते हुए Apple के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स ने स्टीव जॉब्स से कंपनी में वापस आने की बोहोत बिनती की। 1996 में स्टीव ने फिरसे Apple जोइन कर  लिया और  Pixler को Apple के साथ जोड़ दिया।

 

स्टीव अब Apple के CEO बन गए थे। जब स्टीव वापस Apple में आये उस समय Apple में करीब 250 प्रोडक्ट्स थी उन्होंने आने के बाद अगले कुछ सालो में इसकी संख्या 10 करदी और इन 10 प्रोडक्ट्स पर अपना धियान केन्द्रिर करने लगे। उनका मानना था की प्रोडक्ट का क्वांटिटी नहीं क्वालिटी में धियान देना चाहिए। 1998 में उन्होंने आई मैक को बाजार में लॉन्च किया जो लोगो को काफी पसंद आया और उसके बाद Apple ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और फिर आई पैड और आई फ़ोन भी लॉन्च किये।

 

स्टीव जॉब्स की मौत -Death of Steve Jobs

5 अक्टूबर 2011 को पैंक्रियाटिक कैंसर के कारन कैलिफोर्निया में स्टीव जॉब्स का निधन हो गया लेकिन आज भी उनकी लोकप्रियता पहले की तरह लोकप्रिय है।

 

स्टीव का कहना है की जो लोग इस बात को पागलो की तरह सोचते है की वे दुनिया बदल सकते है, सच में वे दुनिया को बदलते है।

 

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