त्यागी पेड़ की कहानी – Solitaire Tree Hindi Story
त्यागी पेड़ की कहानी
एक घने जंगल में एक आम का पेड़ था। उस जंगल के पास ही एक छोटा सा गांव था। उस गांव का एक छोटा सा लड़का हारु उस जंगल में जाकर उस आम के पेड़ के साथ खेलता रहता था। वह उस पेड़ पर चढ़ता, आम खाता और बाद में आरामसे उस पेड़ के निचे सो जाता।
हारु को पेड़ के साथ खेलना अच्छा लगता था तो उस आम के पेड़ को भी ख़ुशी होती। अव हारु रोज उस पेड़ के साथ नहीं खेलने लगा। एक दिन की बात है, हारु चलते चलते उस पेड़ के पास गया। वह बहुत दुखी था।
आम के पेड़ ने कहा, “चलो हारु, मेरे साथ खेलो।”
हारु ने जवाब दिया, “मैं अव बच्चा नहीं रहा जो तुम्हारे साथ खेलु। अव मैं पेड़ के साथ नहीं खेलता। मुझे अव खिलोने चाहिए और खिलोने खरीदने के लिए मुझे पैसो की जरुरत है।”
आम के पेड़ ने कहा, “माफ़ करना हारु, मेरे पास पैसे तो नहीं है लेकिन तुम मेरे फल तोड़कर बाजार में जाकर बेच सकते हो और पैसा कमा सकते हो।”
यह सुनते ही हारु खुश हो गया। उसने आम तोड़े, उसे जमा किया और ख़ुशी खुशी वहां से चला गया। लेकिन बहुत दिनों तक हारु उस पेड़ के पास वापस नहीं आया। बेचारा आम का पेड़ बहुत दुखी हो गया।
कुछ साल बाद हारु अब आदमी बन गया था। हारु फिरसे उस आम के पेड़ के पास आया।
आम का पेड़ हारु को देखकर बहुत खुश हुआ और बोला, “हारु चलो मेरे साथ खेलो।”
हारु ने कहा, “मेरे पास खेलने का समय नहीं है और वैसे भी अव मैं बड़ा हो गया हूँ मुझे अव मेरे परिवार के लिए काम करना है। हमें एक घर चाहिए क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?”
आम के पेड़ ने कहा, “मुझे माफ़ करदो हारु पर मेरे पास तुम्हे देने के लिए घर नहीं है परंतु तुम मेरे शाखाएं तोड़कर ,तुम्हारा घर बना सकते हो।”
ऐसा सुनते ही हारु ने आम के पेड़ की सारी शाखाएं तोड़ दी और उन्हें साथ में लेकर वहां से ख़ुशी ख़ुशी चला गया।
शाखाएं टूटने के बाबजूद आम का पेड़ खुश था परंतु हारु उसके पास नहीं आया और पेड़ बेचारा बहुत दुखी हुआ। कुछ सालो बाद गर्मियों के दिन में हारु फिरसे उस पेड़ के पास आया। पेड़ बहुत खुश हुआ।
पेड़ ने कहा, “आयो हारु चलो मेरे साथ खेलो।”
हारु ने कहा, “नहीं अव मैं बूढ़ा हो गया हूँ। अब मुझे जिंदगी आराम से बिताने के लिए नौकायन करना है। क्या तुम मुझे एक बोट दे सकते हो?”
इसपर पेड़ बोला, “मेरे तना का इस्तिमाल करो और बोट बनाओ फिर तुम नौकायन को जाकर खुश रह सकते हो।”
फिर हारु ने उस पेड़ का तना भी काट लिया और उससे एक बोट बनाई और नौकायन को चला गया और फिर बहुत सालो तक वहां वापस नहीं आया।
असेही कुछ साल बीत गए आखिर एक दिन हारु वापस आया। हारु को देखकर पेड़ बोला, “मुझे माफ़ करना बेटा लेकिन मेरे पास अब तुम्हे देने के लिए कुछ नहीं बचा। आम तो कभी के खत्म हो गए।”
हारु बोला, “कोई बात नहीं। अब मेरे दांत भी तो नहीं है आम खाने के लिए।”
पेड़ बोला, “अब तो खेलने के लिए शाखाएं भी नहीं है।”
हारु ने जवाब दिया, “अब मैं बहुत बूढ़ा हो गया हूँ शाखाओं पर चढ़ने के लिए।”
इसपर पेड़ बोला, “मेरे पास सचमुच कुछ नहीं बचा है तुम्हे देने के लिए बस यह मरने वाली जड़े है मेरे पास।” यह कहकर आम का पेड़ रोने लगा।
हारु बोला, “अब मुझे किसी भी चीज़ की जरुरत नहीं है। अब मैं थक गया हूँ बस आराम करना चाहता हूँ।”
पेड़ बोला, “तो फिर अच्छा है, पेड़ की जड़े आराम के लिए सबसे अच्छी होती है। आयो मेरे पास बैठो और आराम करो।
हारु निचे बैठा। आम का पेड़ खुश हुआ और वह रोने लगा।
दोस्तों यह कहानी (त्यागी पेड़ की कहानी) हमारे दिल को छू लेती है की कैसे एक पेड़ हमारे जीवन में बस जीवनभर देता ही रहता है और इंसान इस बात की कदर तक नहीं करता। पेड़ हमें छाओ और फल देते है लकडिया देते है पर हम इंसान उन्हें बेहरमी से अपने फायदे के लिए काटते है और वापस कुछ नहीं देते। अगर आप नया पेड़ नहीं लगा सकते तो कमसेकम उसे काटिए मत।
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