राधा कृष्ण की दिल छूने वाली एक कहानी Radha Krishna Heart Touching Hindi Story
राधा कृष्ण की कहानी
जब जब श्री कृष्ण का नाम लिया गया है, ऐसा कभी नहीं हुआ की राधा जी का नाम न लिया गया हो। श्री कृष्ण के भक्त उन्हें राधे कृष्ण कहकर पुकारते है। क्युकी यह दो नाम सिर्फ एक दूसरे के लिए बने है। और इन्हे कोई अलग नहीं कर सकता। लेकिन तब क्या हुयाथा जब कृष्ण को राधा को छोड़कर जाना पड़ा? बिना कृष्ण के आखिर राधा कैसे रही होगी? यह सवाल सबके मन में ब्याकुलता पैदा कर देता है।
कृष्ण से राधा और राधा से कृष्ण को कोई अलग नहीं कर सकता। लेकिन हालत और वक़्त ने इन्हे भी नहीं बख्शा। हम सभी जानते है की कृष्ण का बचपन बृन्दावन के गलियों में बिता। नटखट नन्दलाल अपनी लीलाओं से सभी को प्रसन्न करते, तो कुछ को परेशान भी करते। लेकिन कृष्ण के साथ ही बृन्दावन की खुशिया थी। कृष्ण ने अपनी बांसुरी की मधुर सुर से अनेक गोपियों का दिल जीता। लेकिन सबसे ज़ादा अगर कोई उनके बांसुरी की सुर से समोहित था, तो वे राधा थी।
राधा कृष्ण से बहुत प्यार करती थी। लेकिन राधा से अनेक ज़ादा प्यार कृष्ण उनसे करते थे। राधा कृष्ण से उम्र में 5 बर्ष बड़ी थी। लेकिन इस बात का फर्क न ही कृष्ण को पड़ा और न ही राधा को।
राधा बृन्दावन से कुछ ही दुरी पर रपेली नामक गांव में रहती थी। लेकिन रोजाना कृष्ण के बांसुरी की मधुर आवाज से वे खींची चली आती थी। कृष्ण का जीबन भी साधरण नहीं था। धीरे धीरे ऐसा समय आ रहा था जब कृष्ण को बृन्दावन छोड़कर मथुरा जाना पड़ा।
कृष्ण के दुष्ट मामा, कंस का अत्याचार चरम सीमा पर पहुंच चूका था। एक दिन, कंस ने कृष्ण और उनके भाई बलराम को आमंत्रित किया। और इसी बात से बृन्दावन नगरी में, सभी के भीतर एक डर पैदा हो गया। बृन्दावन में मानो जैसे खुशिया चली गई थी। माँ यसोधा तो बहुत परेशान थी। क्युकी उनका दिल का टुकड़ा उनसे दूर जा रहे है। लेकिन कृष्ण की गोपियां भी कम उदास नहीं थी। दोनों को लेने के लिए मामा कंस ने रथ भेजा था। रथ पर चढ़ते ही सभी रथ के आसपास घेरा बना लिया, यह सोचकर की कृष्ण को नहीं जाने देंगे।
उधर कृष्ण को राधा की चिंता सताने लगी थी। वे यह सोचने लगे की जाने से पहले एकबार राधा से मिल ले। मौका मिलते ही वे वहां से निकल गए। और फिर वे राधा के पास आई। राधा को देखकर वे कुछ कह न सके। दोनों न तो कुछ बोल रहे थे और न महसूस कर रहे थे। बस चुप थे। राधा न केबल कृष्ण को जानती थी, बल्कि उनके मन और दिमाग को भी समझती थी।
कृष्ण के मन में क्या चल रहा है वे पहले से ही समझ लेती थी। इसलिए उस समय सायेद उन दोनों को कुछ बोलने की जरुरत नहीं पड़ी। और आखिर राधा को अलबिदा कहकर कृष्ण रथ में लौट आए। और आकर गोपियों को भी समझाया और अनुमति लेकर वहां से चले गए। और बृन्दावन कृष्ण के बिना सुनहा पड़ गया।
कृष्ण चले जाने के बाद न ही बृन्दावन में कोई चहल पहल थी और न ही कृष्ण की लीलाओं की कोई छलक। सभी कृष्ण के जाने के गम में डूबे थे। लेकिन दूसरी ओर राधा को इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ा था। क्युकी उनकी दृस्टि में कृष्ण कभी उनसे अलग हुए ही नहीं थे। शारीरिक रूप से जुदाई होना उनके लिए कोई महत्वा नहीं रखता था।
कृष्ण के जाने के बाद राधा पूरा दिन उन्ही के बारेमे सोचती रहती। ऐसेही बहुत से दिन बीत गए। लेकिन आने वाले समय में राधा की ज़िंदगी क्या मोड़ लेने वाली थी उन्हें इसका अंदाजा भी नहीं था। जो हर लड़की के साथ होता है, वही राधा के साथ भी हुआ।
माता पिता के दबाव में आकर राधा को विवाह करना। और विवाह के बाद अपना जीबन संतान और घर गृहस्ती के नाम कर देना पड़ा। लेकिन दिल के किसी कोने में तब भी कृष्ण मौजूत थे। बर्षो बीत गए। अब ऐसा समय आ चूका था जब राधा काफी बृद्ध हो रही थी।
एक रात राधा चुपके से घर से निकल गए। और घूमते घूमते कृष्ण के दुआरिका नगरी जा पहुंचे। वहां पहुंचते ही उसने कृष्ण से मिलने का निबेदन किया। लेकिन पहलीबार उन्हें मिलने का मौका तब मिला जब कृष्ण बाकि लोगो से घिरे हुए थे।
राधा को देखते ही कृष्ण के ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। लेकिन तब भी दोनों में कोई बातचीत नहीं हुई। क्युकी अभी भी उन्हें किसी शब्दो की जरुरत नहीं थी। राधा कौन थी यह बात दुआरिका नगरी में कोई नहीं जानता था। कृष्ण ने राधा को अपने महल में एक देविका के रूप में नियुक्त कर लिया। वे दिनभर महल में रहती, महल से सम्बंधित कई कार्यो को देखती और जब भी मौका मिलता दूर से कृष्ण को देखकर उसका दर्शन कर लेती।
लेकिन न जाने क्यों राधा में धीरे धीरे एक डर सा पैदा हुआ, जो बीतते समय के बाद बढ़ता गया। उन्हें फिरसे कृष्ण से दूर चले जाने का डर लगने लगा। उनकी भाबनाए उन्हें कृष्ण के पास नहीं रहने देती। साथ ही बढ़ती उम्र भी अब उन्हें कृष्ण से दूर ले जा रही थी।
एक शाम, राधा कृष्ण से बिना बोले महल से चुपके से निकल गयी। वे नहीं जानती थी की वे कहाँ जा रही है। वे बस चलती ही जा रही थी। कृष्ण को यह सब कुछ पता था। वे यह भी जानते थे की राधा कहाँ जा रही है। और एक ऐसा समय आया जब राधा को कृष्ण की जरुरत पड़ी। वेअकेली थी। और किसी तरह कृष्ण को देखना चाहती थी। जैसे ही यह तमन्ना उनके मन में आई, कृष्ण उनके सामने प्रकट हो गई।
कृष्ण को अपने सामने देखकर राधा बहुत खुश हो गई। दूसरी तरफ ऐसा समय आ चूका था जब राधा अपना प्राण त्यागकर दुनिया को अलबिदा कहना चाहती थी। कृष्ण से राधा से कहा की वे उनसे कुछ मांगे। लेकिन राधा ने मना कर दिया। कृष्ण ने राधा से कहा, “जीबनभर तुमने मुझसे कुछ नहीं मांगा। ”
कृष्ण के अनुरोध पर राधा ने उनसे अखरि बार बांसुरी बजाने के लिए कहा। बिना देरी किये कृष्ण ने अपना बांसुरी निकाला और बहुत मधुर धुन बजाने लगे। बांसुरी की आवाज जैसे ही उनकी कानो में गई, राधा ने अपनी आंखे बंध कर ली और धीरे धीरे राधा ने अपना प्राण त्याग दिया और इस दुनिया से चली गई। उनके जाते ही कृष्ण ने उन्हें अपनी गोद में ले लिया। और राधा से लिपटकर रोने लगे। उनके आँखों से आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। उस दिन से कृष्ण ने अपना बांसुरी कभी नहीं बजाया।
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