गर्भवती हथिनी
Pregnant Elephant Story in Hindi
महीनो पहले की बात है, एक हथिनी थी और उसे बहुत भूक लगी थी। उस हथिनी के पेट में बच्चा था। जो कुछ ही महीनो में जन्म लेने वाला था। कुछ दिनों से हथिनी जंगल में भुकी थी। गर्भ के दौरान ज्यादा भूक लगने की बजह से वह खाने की खोज में एक जंगल से गांव में आ गई। रास्ते में उसे एक अनानास पड़ा हुआ मिला। भुकी होने के बजह से उसे जो खाना मिला उससे वह खुश हो गई।
जैसे ही उसने अनानास खाया, उसके मुँह में अनानास फट गया। इस बजह से उस गर्भवती हथिनी का मुँह जल गया। और दर्द के मारे वह चिल्लाने लगी। बेचारा हथिनी दर्द से तड़प रहा था। उसके साथ यह क्या हो रहा है उसे खुद समझ नहीं आ रहा था।
उस हथिनी को यह मालूम नहीं था की जिस अनानास को वह खा रही थी वह अनानास असलमे पटाको से भरा हुआ था, जिसे किसी इंसान ने जंगली-जानबरों को खेत से भगाने के लिए रख दिया था। पर उस हथिनी को क्या पता था की कोई अनानास में बारूद से भरा हुआ पटाका भी रख सकता है। वह तो भूख की बजह से उसे देखते ही खा गई। और इसी बजह से हथिनी का पूरा मुँह जल गया।
हथिनी दर्द से इधर उधर भटक रही थी। अगर वह चाहती तो दर्द के मारे गांव के लोगो को नुकशान पहुंचा सकती थी। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। वह सिर्फ अपने जले हुए मुँह से राहत पाने की कोशिश कर रही थी।
उसका पूरा मुँह जल जाने की बजह से वह कुछ खा नहीं पा रही थी। और खाना न मिलने की बजह से वह कमजोर हो गई। और उसके पेट में जो बच्चा पल रहा था उसे भी कुछ नहीं मिल रहा था। इसी बजह से वह बहुत बेचैन हो गई।
गांव के लोग उसकी तकलीफ समझ ही नहीं पा रहे थे। एक तो मुँह जलने के कारन वह कुछ खा नहीं पा रही थी और उसके जख्मी हुए मुँह पर बैठे मक्खिया उसे परेशान कर रही थी।
आखिर में वह दर्द से राहत पाने के लिए पानी में चली गई। उसे लगा सायेद पानी में रहने से उसे कुछ राहत मिल जाये। और लगातार तीन चार दिनों तक वह पानी में ही बैठी रही। कुछ लोगो ने दो हाथियों के जरिये उसे बाहर निकालने की कोशिश की, यह सोचकर की सायद दूसरे हाथियों को देखकर वह पानी से बाहर आ जाये और बच सके। लेकिन वह हाथी पानी से बाहर नहीं आ सकी और वही अपना दम तोड़ दिया। वह हाथी अपने पेट में पल रहे बच्चे को बिना जन्म दिए ही इस दुनिआ से चली गई।
एक इंसान की गलती की सजा बेचारी गर्भवती हथिनी और उसके बच्चे को मिली जिसकी कोई गलती भी नहीं थी। मनुष्य अपने स्वार्थ में इतना अंधे हो चुके है की सायद वह यह भूल चुके है की इस दुनिआ पर जितना हक़ हम इंसानो का है, उतना हक़ इस दुनिआ में रहने वाले सभी जानबरों का भी है। इसलिए जानबरों को नुकशान पहुंचाने से पहले एकबार उसके तकलीफ को सोचिये की वह किस दौर से गुजर रहा है।
इस कहानी को पड़ने के लिए धन्यवाद। यह कोई कहानी नहीं बल्कि हाल ही में हुई एक सत्य घटना है। दोस्तों इस घटना को लेकर अगर आपका कोई बिचार है तो कमेंट में जरूर लिखे।
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