झूठा तोता Jhuta Tota Hindi Kahani
झूठा तोता
एक बार, एक जंगल में एक तोता रहता था। उस तोते को बढ़ा चढ़ाकर बात करने की बुरी आदत थी। वह सभी पक्षी को अपनी बड़ी बड़ी बातें सुनाया करता था।
एकदिन वह एक चिड़िया को कहने लगा, “तुम्हे पता है, आज मैंने बहुत ही अच्छी दावत खाई है एक बड़े आदमी के घर। वह आदमी हर रोज मुझे अच्छा अच्छा खाना खिलाता है।”
चिड़िया सुनकर तो बहुत हैरान हो गई और कहने लगी, “सच बोल रहे हो तुम?”
तोते ने कहा, हाँ बिलकुल। मैं तुम्हे झूट क्यों कहूंगा?”
यह कहकर तोता वहाँ से उड़ गई।
तोता ऐसेही सबके सामने डींगे मारता रहता था। वह जिस भी जानबर या पक्षी से मिलता उसी के सामने बड़ी बड़ी बातें करने लग जाता। एक दिन, एक कबूतर उसी की तरफ आया। और सारे पक्षियों से तोते के बारेमे पूछने लगा।
सभी पक्षी हैरान हो गए और कहने लग, “भला तुम तोते को क्यों ढूंढ रहे हो कबूतर? तोते से तुम्हारा क्या काम है?”
उसी वक़्त तोता वहां पर आया और कहने लगा, “तुम मुझे कैसे जानते हो? क्या तुम्हे पता है मैं कौन हूँ?”
बूतर ने कहा, “हाँ हाँ पता है। असल में मैं यहाँ तुम्हे कुछ बताने आया हूँ।”
कबूतर जैसे ही अपना मुँह खोलता है, उसी वक़्त तोता कबूतर के सामने बड़ी बड़ी फेकने लगता है। वह कबूतर के सामने बहुत बड़ी बड़ी बातें करने लगता है और बेचारे कबूतर को कुछ बोलने का मौका ही नहीं देता।
तोता बोलता ही जाता है, बोलता ही जाता है। और कहता है, “मैं इस जंगल का सबसे अमीर पक्षी हूँ। मेरे पास किसी भी चीज की कोई कमी नहीं है।”
तभी कबूतर कहता है, “मैं एक साही नौकर हूँ। और इस जंगल के शेरराज चाहते है की तुम उनके महल में काम करो। खाना पीना सब वही मिलेगा। लेकिन लगता है की तुम्हे इन सबकी कोई जरुरत नहीं है। क्युकी तुम्हारे पास तो पहले ही सब कुछ है।”
तभी तोता कहता है, “रुको, मेरे पास तो कुछ भी नहीं है।”
कबूतर ने कहा, “रहे ने भी दो। अब झूट मत बोलो।”
फिर कबूतर ने तोते की एक भी बात नहीं सुनी और वहां से चला गया।
शिक्षा – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की हमे कभी भी झूट नहीं बोलना चाहिए, क्या पता कोई अच्छा सा मौका हमारे हाथ से चला जाए और हम फिर अफ़सोस करते रहे।
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