(लालची बंदर की कहानी)
Hindi Story on Greed
एक बार, एक शहर के बाहर एक आम के बगीचे में एक सरारती बंदर रहता था। पुरे दिन वह बंदर एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर कूदता रहता था। इस तरह वह बंदर बगीचे के सारे आम खाता रहता था। बगीचे के मालिक ने बंदर को फ़साने की कोशिश की, लेकिन हर बार वह बंदर जाल से बच निकल जाता था।
एक दिन, बंदर पास के शहर में गुम गया। बंदर वहां लोगो के घर में घुसकर खाना खा कर भागने लगा। कुछ ही दिनों में उसने शहर के लोगों के लिए जीबन मुश्किल बना दिया था। दिन बीतते गए और शहर के लोगों ने बंदर को आतंक के साथ देखा। जब भी कोई बंदर को लेता था, वह इंसान डर के मारे चिल्लाकर वहां से भाग निकलता था।
एक दिन, एक बाजीगर शहर में आया। नगर के लोग उसके पास पहुंचे और कहने लगे, ” हम चाहते है की आप उस सरारती बंदर से छुटकारा दिलाने में हम सबकी मदद करे। बाजीगर ने कहा, “चिंता मत करो। तुम लोग मुझे बस दो जार देकर जाओ वह भी मूम्फ़ली के साथ। नगर बासियों ने दो जार उस बाजीगर के सामने पेश किये। बाजीगर ने उन दोनों मूम्फ़ली के जारो को एक खुले मैदान में रख दिया। जारो को देखकर बंदर बहुत उत्सुक हो गया।
बंदर जारो के पास दौड़ते हुए आया। जब उसने जारो में झांका तो उसे मूम्फ़ली दिखाई दिए। मूम्फ़ली खाने के लिए उसने अपने हाथों को जार के अंदर डाला। एक बड़ी मुट्ठी मूम्फ़ली पकड़ा लेकिन वह अपने हाथो को बाहर नहीं निकाल पा रहा था, क्युकी जार मुँह बहुत संकीर्ण था। अगर बंदर अपनी मुट्ठी में से कुछ मूम्फ़ली वापस जार में गिरा देता तो सायद उसका हाथ बाहर निकल जाता। लेकिन वह बंदर लालची था, इसलिए उसने मूम्फ़ली जार में नहीं डाली। शहर के लोगो ने बंदर को फसा लिया और उसे एक पेड़ के साथ रस्सी से बांध दिया। फिर बंदर को चिड़िया घर में बेच दिया गया।
सीख – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की हमे कभी भी लालच नहीं करना चाहिए।
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