घोड़े और गधे की कहानी | Donkey and Horse Story in Hindi
घोड़े और गधे की कहानी
एक गांव में एक ब्यापारी रहा करता था। उसके पास एक गधा और एक घोड़ा था। वह हर रोज शहर जाकर सामान गधे के पीठ पर लाता था। गधा हर बार बोहुत बजन सामान उठकर घर लाता था। पर घोड़े को कुछ काम नहीं करना पड़ता था।
ब्यापारी को चलना बहुत पसंद था, इसलिए वह शहर चलकर ही जाता था अपने गधे और घोड़े के साथ और जब ब्यापारी थक जाता तो वह घोड़े पर बैठ जाता। घोड़े को ज्यादा घमंड आ गया था कि उसका मालिक उसे ज्यादा प्यार करता है। घोड़ा हमेशा गधे का मजाक उड़ाया करता था।
एक दिन, गधे पर बहुत ज्यादा बोझ था। वह घोड़े से कहने लगा, “दोस्त यह बहुत भारी है, मेरी पीठ दर्द कर रही है, इनमे से एक बोरा तुम भी उठालो न, तुम्हारा एसान मैं कभी नहीं भूलूंगा। जब कभी भी तुम्हे मेरी जरुरत होगी, जरुर तुम्हारी मदद करूँगा।”
घोड़े ने कहा, “तुम मेरी मदद करोगे? लेकिन वह कैसे? हम दोनों के बीच बहुत अंतर है। मैं एक घोडा हूँ और तुम एक गधा भला तुम मेरी मदद कैसे कर सकते हो?”
अब घोड़े को कुछ भी बोलना बेकार है समझकर चुपचाप गधा अपना दर्द सहता रहा और आगे चलता रहा। कुछ देर चलने के बाद गधे का पैर रास्ते में पड़े एक पत्थर से टकरा गया और वह नीचे गिर गया। गधे के पैर पर मोच आ गई थी इसलिए वह ठीक से खड़े भी नहीं हो पा रहा था।
ब्यापारी सोचने लगा, “गधा तो खड़ा भी नहीं हो पा रहा है, यह इतना सारा बोझ कैसे उठाएगा?” वह सारा बोरिया घोड़े पर रखकर घर जाना चाहता था।
तभी घोड़े ने कहा, “मालिक, ये गधा कामचोर है काम से बचने के लिए नाटक कर रहा है। अगर आपको यकीन नहीं होता तो आप एकबार इसकी जाँच कर ले।”
ब्यापारी घोड़े की बात सुनकर गधे की जांच करने लगा पर गधा सही में दर्द से बहुत तड़प रहा था। ब्यापारी को गधे पर तरस आ गया और घोड़े को झूठ बोलने के लिए सजा दी और उस पर साड़ी बोरिया डाल दी। वह सब घर को वापस आ गए। जब तक गधे का पैर ठीक नहीं हुआ, तब तक वह घोड़े पर ही बोरिया रखकर ही ला रहा था। घोड़े को भी अब अकल आ गई थी और उसने गधे से दोस्ती कर ली।
शिक्षा – दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की “मालिक की नजर में कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता।”
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