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The Three Boons Story in Hindi
तीन वचन
एक छोटे से गांव में हारु नाम का एक बालक रहता था। वह कद में बहुत छोटा था और उसकी नाक चिपटी थी। वह निर्दय था। पिता के न होने के कारन माँ ही सब देख-रेख करती थी। कठिन परिश्रम करके भी वह बहुत कम पैसे कमा पाता था क्यूंकि वह अशिक्षित था। फिर भी उसकी माँ उसे प्यार से पालती थी।
हारु धीरे धीरे युवक बन गया। गांव के लोग उसकी चिपटी नाक को लेकर बहुत मजाक उड़ाया करता था। वह क्रोधित तो होता था पर मजबूर था। समय बीतता गया। एक दिन, उसकी माँ का निधन हो गया। हारु इस असहनीय पीड़ा को सहते हुए अपनी माँ के याद में रोता रहता था।
एक दिन, गांव का एक बृद्ध उससे मिलने आया।
उस बृद्ध ने कहा, “हारु चिंता मत करो, तुम्हारी माँ ने इतने बर्षो तक तुम्हारी इतनी देखभाल की है, अब तुम विवाह करलो फिर तुम सभी चिंताओं से मुक्त हो जाओगे।”
बृद्ध दुयारा विवाह करने की सलाह सुनकर हारु प्रसन्न हो गया। हारु ने बृद्ध से कहा की वह सोचकर बताएगा। हारु मन ही मन विवाह के सपने देखने लगा। किन्तु उसने यह निर्णय लिया की वह सुन्दर लड़की से विवाह नहीं करेगा नहीं तो सभी की तरह उसकी पत्नी भी उसका मजाक उड़ाएगी। ऐसा निर्णय लेकर वह दूसरे दिन बृद्ध से मिला।
हारु ने बृद्ध से कहा, “महादय, मैं विवाह के लिए सहमत तो हूँ किन्तु किसी सुन्दर लड़की से विवाह नहीं करना चाहता।”
बृद्ध ने कहा, “लेकिन ऐसा क्यों बेटे?”
हारु ने कहा, “क्यूंकि अगर मैंने किसी सुन्दर लड़की से विवाह किया तो वह भी दुसरो की तरह मेरे चिपटी नाक की मजाक उड़ाया करेगी।”
बृद्ध ने कहा, “अच्छा तो ठीक है हारु। मैं इस बात से खुश हूँ की तुमने विवाह करने का निर्णय लिया। तुम जैसा चाहते हो वैसे ही लड़की ढूंढने का प्रयास करूँगा।”
कुछ दिनों बाद, बृद्ध को पास के गांव में एक चिपटी नाक वाली लड़की मिल गई। उसने हारु का विवाह उससे करा दिया। हारु उससे विवाह करके बहुत खुश था। उसने सोचा की अब सभी कठिनाइयों का अंत हो गया। लेकिन वह गलत था। इस बार उसके साथ-साथ लोग उसकी पत्नी का भी मजाक उड़ाने लगे। हारु ने उन्हें रोकने का बहुत प्रयास किया पर सब बेकार रहा।
अंत में हारु ने सोचा की अब वह उस भगवान से ही प्रार्थना करेगा जिसने उसे चिपटी नाक वाला बनाया है।
उसने अपनी पत्नी से कहा, “प्रिय, मैं जंगल में अत्यंत ही एक आवश्यक कार्य के लिए जा रहा हूँ, तुम घर पर ही रहो और मेरी चिंता बिलकुल भी मत करना।”
हारु ने जंगल में जाकर बिना हिले-डुले किसी भी बात को न सुनते हुए भगवान का ध्यान लगाया। पुरे दिन ध्यान लगाने के बाद, भगवान प्रकट हो गए। हारु भगवान को सामने देखकर प्रसन्नता से उछलने लगा। फिर हाथ जोड़कर उनके सामने खड़ा हो गया।
भगवान ने कहा, “मैं प्रसन्न हुआ, बताओ क्या चाहते हो?”
हारु ने कहा, “भगवन, आप मेरी प्रार्थना सुने तथा मुझपर दया करें।”
भगवान ने कहा, “मैं तुम्हे तीन वचन देता हूँ हारु, घर जाकर पाशे को तीन बार फेकना तथा तुम तीन वचन माँगना। तुम्हारे तीनों वचन अवश्य ही पुरे होंगे।”
इतना कहकर भगवान अदृश्य हो गए। पत्नी को यह समाचार देने के लिए हारु दौड़ता हुआ घर पहुँचा।
घर जाकर उसने अपनी पत्नी से कहा, “जानती हो भगवान ब्रह्मा ने स्वयं प्रकट होकर मुझे आशीर्वाद दिया की मैं कोई भी तीन वचन मांग सकता हूँ।”
उसकी पत्नी ने कहा, “सबसे पहले आप धन मांगिए।”
हारु ने कहा, “नहीं नहीं। हमें धन की कोई आवश्यकता नहीं है। देखो तुम्हारी और मेरी नाके चिपटी है हम इसलिए सबसे पहले हम दोनों सुन्दर नाको का वचन मांगते है।”
उसकी पत्नी बोली, “नहीं नहीं, सबसे पहले आप धन मांगिए।”
हारु की पत्नी सबसे पहले धन चाहती थी इसलिए उसने हारु को पाशा फेकने से रोकने का प्रयास किया। इस बात से हारु क्रोधित हो गया और उसने जल्दी से पाशा फेका।
हारु ने पाशा फेककर कहा, प्रभु, मैं अपना पहला वचन मांगता हूँ की हमें सुन्दर नाक ही चाहिए प्रभु और कुछ नहीं। केबल सुन्दर नाक ही चाहिए।”
अचानक उनके पुरे शरीर में नाक ही नाक निकल आई। दोनों हैरान हो गए।
हारु ने दुबारा पाशा फेका और कहा, “भगवन, कृपया हम पर दया कीजिए। अब हमें यह नाके नहीं चाहिए। कृपया इन्हे वापस ले लें। तुरंत नई नाको के साथ-साथ पुरानी नाक भी गायब हो गई।
हारु की पत्नी ने हारु से कहा, “स्वामी हमने तो अपनी चिपटी नाक भी गवा दी। अब हम क्या करें स्वामी।”
हारु ने कहा, “दो वचनो से हमें वह कुछ भी नहीं मिला जो हम चाहते थे।”
हारु की पत्नी ने कहा, “कृपया [पाशे को फेककर आप अपनी नाक वापस मांग लीजिए।”
हारु ने कहा, “ठीक कहती हो, बिना नाक के भी हम इस धन का क्या करेंगे प्रिय?”
हारु ने तीसरी और अंतिम बार पाशा फेका और कहा, “हे भगवन, कृपया हमें क्षमा करें। हमारी पुरानी नाक वापस दे दीजिए।”
भगवान ने उनकी प्रार्थना सुन ली और उनकी पुरानी नाक वापस आ गई।
शिक्षा – अवसर एक बार के बाद दुबारा नहीं मिलता। जो अवसर का सही बुद्धिमत उपयोग कर लेता है वही सफल जीवन ब्यतीत करता है।
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