सबसे कीमती उपहार – Inspirational Story in Hindi
मोहन काका डाक विभाग में कर्मचारी थे। बर्षो से वह माधवपुर के आसपास के गांव में चिठ्ठी बाँटने का काम करते थे। एक दिन, उन्हें एक चिठ्ठी मिली। पता माधवपुर के आसपास का ही था। लेकिन आज से पहले उन्होने उस पते पर कभी कोई चिठ्ठी नहीं पहुंचाई थी।
रोज की तरह आज भी उन्होंने अपना थैला उठाया और चिट्ठियां बाँटने निकल पड़े। सारी चिट्ठियां बाँटने के बाद, वह उस नए पते की और बढ़ने लगे।
दरवाजे पर पहुंचकर उन्होंने आवाज दी, “पोस्टमैन।”
अंदर से किसी लड़की की आवाज आई, “काका, वही दरवाजे के निचे से चिट्ठी डाल दीजिए।
काका मन ही मन सोचने लगा, “अजीब लड़की है। मैं इतनी दूर तक चिट्ठी लेकर आ सकता हूँ और यह महारानी दरवाजे तक नहीं निकल सकती।”
काका खींचते हुए बोले, “बाहर आइए, रेजिस्ट्री आई है हस्ताक्षर करने पर ही मिलेगी।”
अंदर से आवाज आई, “अभी आई।”
काका इंतजार करने लगे। पर जब दो मिनट के बाद भी कोई नहीं आया तो काका और इंतजार न कर सका।
काका ने दरवाजा पीटते हुए कहा, “जल्दी करिए, यही काम नहीं है मेरे पास और भी चिट्ठियां पोहुंचानी है मुझे।”
कुछ देर बाद, दरवाजा खुला। सामने का दृश्य देखकर काका चौंक गए। एक बारह-तरह साल की लड़की थी जिसके दोनों पैर कटे हुए थे।”
वह अपनी बातों के लिए बहुत शर्मिदा हुए।
लड़की बोली, “क्षमा कीजिएगा, मैंने आने में देर लगा दी। बताइए हस्ताक्षर कहाँ करनी है।”
काका ने हस्ताक्षर कराया और वहां से चले गए।
इस घटना के कुछ दिन बाद, काका को फिर उसी पते के लिए एक चिठ्ठी आई। इस बार भी सब जगह चिठ्ठी पहुंचाने के बाद वह उस घर के सामने पहुंची।
काका बोले, “चिठ्ठी आई है हस्ताक्षर की जरुरत नहीं है, निचे से डाल दू?”
लड़की ने अंदर से आवाज दी, ‘नहीं नहीं रुकिए, मैं अभी आई।”
कुछ देर बाद दरवाजा खुला। लड़की के हाथ में गिफ्ट पैकिंग किया हुआ एक डिब्बा था।
लड़की मुस्कुराते हुए बोली, “काका लाइए मेरी चिठ्ठी और यह .लीजिए आपका तोहफा।
काका बोले, “इसकी क्या जरुरत है बेटा।”
लड़की ने कहा, “बस ऐसे ही काका। आप इसी ले जाइए और घर जाकर ही खोलिएगा।”
काका डिब्बा लेकर घर की और बढ़ चले। उन्हें समझ नहीं आ रहा था की डिब्बे में होगा क्या। घर पहुंचते ही उन्होंने डिब्बा खोला और तोहफा देखते ही उनके आँखों से आंसू टपकने लगे।
डिब्बे में एक जोड़ी चप्पलें थी। काका बर्षो से बिना चप्पल ही चिट्ठियां बांटा करते थे लेकिन आज तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया था। यह उनके जीवन का सबसे कीमती उपहार था।
काका चप्पलें कलिजे से लगाकर रोने लगे। उनके मन में बार-बार एक ही विचार आ रहा था की बच्ची ने उन्हें चप्पलें तो दे दी पर वह उसे पैर कहाँ से लेकर देगा।
दुसरो के दुखो को महसूस करना और उसे कम करने का प्रयास करना एक महान काम है। जिस बच्ची के खुद पैर न हो उसके दुसरो के पेरो के पति संवेदनशीलता हमें बहुत बड़ा संदेश देती है। हम सबको भी इसी तरह दुसरो के दर्द को महसूस करके उनकी सहायता करनी चाहिए और दुःख से भरी इस दुनिया में खुशिया फैलाना चाहिए।
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