A Motivational story of Spider, Ant, and Webs in Hindi
मकड़ी, चींटी और जाले की कहानी
इस दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं है जो इंसान नहीं कर सकता हो और असंभव नाम की कोई चीज तो है ही नहीं इस दुनिया में बस उसे करने का जूनून होना चाहिए। लोग चाहे कुछ भी कहे लेकिन हमें रुकना नहीं है बस आगे बढ़ते रहना है। दोस्तों आज की कहानी में हम बात करेंगे एक मकड़ी की जो अपना काम करते करते दुसरो की बातें सुनकर रुक जाता है और बाद में उस मकड़ी को बहुत पछताना पढता है और फिर वह सोचता है की उसने दुसरो की बातें सुनकर बहुत बड़ी गलती कर दी। दोस्तों इस कहानी से आपको बहुत सीख मिलेगी तो कहानी को अंत तक जरूर पढ़े।
एक मकड़ी थी। उसने आराम से रहने के लिए एक शानदार जाला बनाने का विचार किया और सोचा की जाले में खूब कीड़े, मक्खियाँ फसेंगी और मैं उसे अपना आहार बनाऊँगी और मजे से रहूंगी। उसने कमरे के एक कोने को पसंद किया और वहाँ जाला बनाना शुरू कर दिया।
कुछ देर बाद, आधा जाला बनकर तैयार हो चूका था। यह देखकर वह मकड़ी काफी खुश हुई की तभी अचानक उसकी नजर एक बिल्ली पर पड़ी, जो उसे देखकर हंस रही थी। मकड़ी को गुस्सा आ गया और वह बिल्ली से बोली, “हंस क्यों रही हो?” बिल्ली ने जवाब दिया, “हँसू नहीं तो क्या करू यहाँ मक्खियाँ नहीं है, यह जगह तो बिलकुल साफ सुथरी है। यहाँ कौन आएगा तेरे जाले में?”
यह बात मकड़ी के गले उतर गई। उसने अच्छी सलाह के लिए बिल्ली को धन्यवाद दिया और जाला अधूरा छोड़कर दूसरी जगह तलाश करने लगा। उसने इधर उधर देखा उसे एक खिड़की नजर आई और फिर उस पर जाला बुनना शुरू कर दिया।
कुछ देर तक वह जाला बुनती रही तभी एक चिड़िया आई और मकड़ी का मजाक उड़ाते हुए बोली, “अरे मकड़ी तू भी कितनी बेवकूफ है।” मकड़ी ने पूछा, “क्यों?” चिड़िया उसे समझाते हुए बोली, “अरे यहाँ तो खिड़की से तेज हवा आती है, यहाँ तो तू अपने जाले के साथ ही उड़ जाएगी।” मकड़ी को चिड़िया की बात ठीक लगी और वह वहाँ भी जाला अधूरा बनाकर सोचने लगी, “अब कहाँ जाला बनाया जाए?”
समय काफी बीत चूका था। उसे अब भूख भी लगने लगी थी। अब उसे एक अलमारी का खुला दरवाजा दिखा और उसने उसी में अपना जाला बुनना शुरू कर दिया। कुछ जाला बुना ही था की तभी उसे एक कॉकरोच नजर आया जो जाले को अचरज भरे नजरो से देख रहा था। मकड़ी ने पूछा, “इस तरह क्यों देख रहे हो?”
कॉकरोच बोला, “अरे यहाँ कहाँ जाला बुनने चली हो, यह तो बेकार की अलमारी है। अभी यह यहाँ पड़ी है कुछ दिनों बाद इसे बेच दिया जाएगा तब तुम्हारी सारी मेहनत बेकार चली जाएगी।” यह सुनकर मकड़ी ने वहाँ से भी हट जाने का सोचा। बार-बार प्रयास करने से वह काफी थक चुकी थी और उसके अंदर जाला बुनने की ताकत भी अब नहीं बची थी। भूख की बजह से वह काफी परेशान थी। उसे पछतावा हो रहा था की अगर पहले ही जाला बुन लेती तो अच्छा रहता मगर अब वह कुछ नहीं कर सकती।
मकड़ी उसी हालात में पड़ी रही। जब उसे लगा की अब कुछ नहीं हो सकता है तो उसने पास से गुजर रही चींटी से मदद करने का आग्रह किया। चींटी बोली, “मैं बहुत देर से तुम्हे देख रही, तुम बार-बार अपना काम शुरू करती हो और दुसरो के कहने पर उसे अधूरा छोड़ देती हो। जो लोग ऐसा करते है, उनकी यही हालत होती है।” ऐसा कहते हुए चींटी अपने रास्ते चली गई और मकड़ी पछताती हुई निढाल पड़ी रही।
दोस्तों हमारी जिंदगी में भी बहुत बार कुछ ऐसा ही होता है। हम कोई काम शुरू करते है और शुरू-शुरू में तो हम उस काम के लिए बड़े उत्साहित होकर उस काम को करते है लेकिन बाद में लोगों के विचारों की बजह से उत्साह कम होने लगता है और हम अपना काम बीच में ही छोड़ देते है। और जब बाद में पता चलता है की हम अपने सफलता के कितने नजदीक थे तो बाद में वहाँ पछतावा के अलावा कुछ नहीं बचता।
दोस्तों इस बात का ध्यान रखे की जिस तरह कुएं की जगत के पत्थर पर बार बारबार रस्सी आने-जाने की रगड़ से निशान बन जाता है, उसी प्रकार लगातार अभ्यास से असंभव कार्य को भी संभव किया जा सकता है।
तो दोस्तों आपको यह “मकड़ी, चींटी और जाले की एक प्रेरणादायक कहानी | Best Powerful Motivational Story in Hindi” कैसी लगी, निचे कमेंट करके जरूर बताए और अगर आप इसी तरह और भी Motivational Story in Hindi में पढ़ना चाहते है तो फिर इस ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें।
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