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Green Horse Story in Hindi

हरा घोडा | Green Horse Story in Hindi

Posted on September 26, 2020

Green Horse Story in Hindi

 

 

हरा घोडा – Green Horse

 

पहले के ज़माने के राजा भी अपने सेनापति या अपने दरबार के रत्नों से कोई न कोई अजीब सी फरमाइस करते थे। और उनके सेनापति और रत्नों को वह पूरा करना ही पड़ता था। अब वह कैसे पूरा करेंगे? क्या करेंगे? इससे राजा को कोई मतलब नहीं होता। उन्हें तो बस अपनी फरमाइस पूरी चाहिए।

 

एक दिन ऐसेही एक सनकी राजा ने अपने सेनापति से कहा,
“मुझे हरा घोड़ा चाहिए।”

 

अब घास तो हरी होती ही है लेकिन घोड़ा कैसे हरा हो सकता है। लेकिन यह राजा साहेब थे। राजा चाहते तो हरा, पीला, नीला कैसा भी घोड़ा मांग सकते थे।

 

खेर कहानी की सुरुवात तब हुई जब राजा अपनी सेनापति और सैनिको के साथ शिकार करने जंगल जा रहे थे।
जंगल के हरियाली देखकर उनका भी यह मन हुआ की उनके पास भी ऐसा हरा हरा घोड़ा होना चाहिए। ताकि हरियाली में वह छुप जाए। और उनके शिकार को पता न चले की राजा साहेब घोड़े पर उसका पीछा कर रहे है। बस उन्होंने अपने सेनापति को लपेटे में ले लिया। और अपनी बात सेनापति से कही,

“बाह सेनापति बाह! यह जंगल कितना हरा भरा है।”

 

सेनापति बोला,
“जी राजा साहेब। आपके राज में देखिए न, चारों तरफ कितनी हरियाली ही हरियाली दिखाई दे रही है।”

 

राजा ने कहा,
“हाँ सेनापति, और ऊपर से हमने हरे हरे कपडे पहने है तो हमें और भी अच्छा लग रहा है। काश हमारा घोड़ा भी हरा होता।”

 

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अक्सर राजाओ के साथ उनके चमचे भी पीछे लगे रहते है जो ऐसे मौको का भरपूर फायदा उठाते हैतो।

 

जब चमचे ने राजा साहेब के मुँह से हरे घोड़े की बात सुनी तो तुरंत बोला,
“अरे राजा साहेब, इसमें क्या मुश्किल है? आप राजा है। आप जैसा भी चाहे हरा, पीला, नीला वैसा ही घोड़ा लाना जाना चाहिए। ऐसा घोड़ा तो सेनापति आपके लिए ……..”

 

राजा ने कहा,
“ऐसा घोड़ा हमारे लिए सेनापति नहीं बल्कि आप हमारे लिए लाएंगे।”

 

अब वह चमचा खुद ही अपने जाल में फँस गया। क्यूंकि राजा साहेब ने उसे ही अपने लपेटे में ले लिया। अब वह टेंशन में आ गए की हरा घोड़ा कहाँ से लाएंगे?

 

तो वह चमचा यानि की मौलबी बहाने बनाने लगता है।

 

सुनकर राजा साहेब कहते है,
“मौलबी आपने खुद कहा है की हम राजा साहेब है। और हमारी मांग पूरी की जानी चाहिए। तो अब अगर आप अपनी जुवान से मुकरे और हमारे लिए हरे रंग का घोडा नहीं ले आए तो आपकी गर्दन काट दी जाएगी। और उसपर हरा रंग कर दिया जाएगा।”

 

यह सुन मौलबी की हालत ख़राब हो गई। वह सोच में पड़ गए की अब क्या करें।
रात में उठ उठ कर बैठने लगे। अपनी बीवी पर बे वजा चिल्लाता रहता है। और जब वह सोने की कोशिश करता है तो उसे दीखता है की राजा साहेब ने उनकी गर्दन काट दी है।

 

थक हार कर मौलबी पहुँचे सेनापति के पास।

मौलबी ने सेनापति से कहा,
“सेनापति! सेनापति! अब इस समस्या से तो आप ही हमें बचा सकते है।”

 

सेनापति ने कहा,
“हम भला आपकी क्या मदद कर सकते है मौलबी? आपने ही तो राजा साहेब से कहा था की उन्हें हरा घोड़ा मिलना चाहिए। तो अब आप ही न कर दीजिए।

 

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मौलबी कहता है,
“वह तो मैंने जोश जोश में कह दिया था। अब हमें समझ में नहीं आ रहा है की हरा घोड़ा कहाँ से लाए?”

 

सेनापति ने कहा,
“एक काम करते है। किसी चित्रकार से कहकर किसी घोड़े को हरा रंग कराकर बादशाह को दे दिया जाए।”

 

इस बात पर मौलबी कहता है,
“बहुत ही अच्छा उपाय है सेनापति जी। लेकिन जिस दिन राजा साहेब घोड़े को नहलाएंगे उस दिन हम नजर नहीं आएंगे। कुछ अच्छा उपाय बताइए। आपके पास कुछ अच्छा उपाय होगा सेनापति जी। आपने तो बड़ी बड़ी पेहलियों को हल कर दिया है। तो अब इस हरे घोड़े वाले पेहलियों को भी सुलझाइए।”

 

सेनापति ने कहा,
“एक काम करिए, आप अपना कान हमारे कान के पास लाइए।

 

सेनापति ने मौलबी के कानों में जो कहा, उसे सुनकर मौलबी का चेहरा खिल गया।

 

अगले दिन वह जा पहुँचे दरबार में।

 

राजा ने उनसे कहा,
“क्या बात है मौलबी जी? ले आए आप हरा घोड़ा?”

 

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मौलबी ने कहा,
“लाया तो नहीं राजा साहेब, लेकिन पता कर लिया हरे घोड़े का। लेकिन उसके मालिक के दो शर्ते है।”

 

राजा कहता है.
“आप बताइए मौलबी जी। हम दोनों शर्तो को पूरा करेंगे।”

 

मौलबी कहता है,
“ठीक है। तो पहली शर्त यह है की क्यूंकि वह एक बिशेष हरा घोड़ा है इसलिए उसको लेने आपको खुद जाना होगा।”

 

राजा ने कहा,
“ठीक है मौलबी जी। दूसरा शर्त बताइए।”

 

मौलबी कहता है,
“यही की उस घोड़े को लेने आप सप्ताह के सातो दिन के अलावा और किसी दिन जाएंगे।”

 

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राजा मौलबी की इस बात को सुनकर हँसने लगा। और कहा,
“यह कैसी शर्त है मौलबी? सप्ताह में तो सात ही दिन होते है।”

 

मौलबी ने कहा,
“जी राजा साहेब। लेकिन अब क्या कर सकते है? घोड़े की मालिक की यही शर्त है।”

 

राजा ने कहा,
“मौलबी जी, सच सच बताइए यह आपके गर्दन को काटने से सेनापति ने बचाया है न?”

 

तब मौलबी डर डर के बोलता है,
“जी राजा साहेब, यह सेनापति जी काही ही  दिया हुआ उपाय है।”

 

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तो दोस्तों जब भी कोई अनोखी समस्या आए, तो एक बात याद रखना उसी अनोखी समस्या में कोई अनोखा समाधान मौजूत होता है। जैसे यहाँ हरा घोड़ा नहीं होता तो मौलबी ने इसका समाधान भी किया की सप्ताह के सातो दिन छोड़कर किसी और दिन ही वह घोड़ा लेने जा सकता है। अब जब सप्ताह के सातो दिन के अलावा कोई दिन ही नहीं होता तो राजा साहेब जाएंगे कैसे। इस तरह सेनापति ने मौलबी के गर्दन को राजा साहेब के हाथो से काटने से बचा ली।

 

शिक्षा – जितना भी बड़ा समस्या क्यों न हो उस समस्या का समाधान भी जरूर होता है। इसलिए उस समाधान को खोजने की कोशिश करें।

 

दोस्तों आपको यह “हरा घोडा | Green Horse Story in Hindi” कहानी कैसी लगी निचे कमेंट के जरिए जरूर बताइएगा। और इस तरह के ढेर सारि कहानिया पढ़ने के लिए इस ब्लॉग को सब्सक्राइब करें।

 

 

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