भरोसा, Bharosa a Short Hindi Moral Story
भरोसा – Short Hindi Moral Story on Believe
किसी एक गांव में एक बहुत बड़ा अनाज का व्यापारी रहता था। उसका कारोवार बहुत बड़ा था। वह आसपास के गांव में भी अनाज का व्यापर करता था। उसके गांव में भी उसका अनाज का दुकान था। उसका कारोवार बड़ा था इसलिए उसे मदद के लिए एक नौकर की जरुरत थी। इसलिए व्यापारी ने एक आदमी को अपनी कारोवार का काम संभाल ने के लिए एक नौकर रख लिया।
उस नौकर को सारे गांव में एक चोर के नजर से देखा जाता था। गांव वालों को जब पता चला की व्यापारी ने उस आदमी को नौकर रख लिया है तो गांव वाले व्यापारी से जाकर बोले, “अरे यह आदमी तो चोर है, यह लोगों के घर में चोरिया करता है। सेठ जी अगर आप इसे अपनी दुकान में काम पर रखोगे तो यह चोर आपकी दुकान से सारा अनाज चुरा लेगा।”
व्यापारी ने गांव वालों की सारी बातें सुनी। लेकिन फिर भी उस आदमी को काम पर रख लिया और वह नौकर व्यापारी के दुकान में उनकी मदद करने लगा।
ऐसा ही कुछ दिन चलता रहा। एक दिन, व्यापारी को व्यापर के सिलसिले में कुछ दिनों के लिए दूसरे गांव जाने की जरुरत पड़ गई। फिर व्यापारी ने अपनी दुकान उस नौकर के भरोसे सोपकर जाने का निर्णय किया। और फिर नौकर से कहा, “जब तक मैं गांव से वापस नहीं आता, मैं यह दुकान तुम्हारे भरोसे सोपकर जा रहा हूँ। मेरे आने तक दुकान ठीक से संभालना।”
यह बात सुनते ही उस नौकर के मन में लालच आ जाता है। वह तभी सोचता है, “जब सेठ जी गांव चले जाएंगे तब मैं सारा अनाज चुराकर भाग जाऊँगा।”
जैसे ही यह बात व्यापारी की पत्नी को पता चलती है वह दुकान में दौड़ते हुए आती है और व्यापारी से बोलती है, “आप यह क्या कह रहे है? इतनी बड़ी दुकान आप इस चोर के भरोसे कैसे छोड़ सकते है? यह तो सारा अनाज चुराकर भाग जाएगा।”
उन दोनों की बातें वह नौकर चुपके से सुन रहा होता है। तभी व्यापारी बोलता है, “अरे प्रिय, वह नौकर ऐसा नहीं करेगा। अगर उसे चोरी करनी होती तो आज तक वह कर चूका होता। लेकिन वह तो बहुत मेहनती है। दुकान में मेरी बहुत मदद करता है ,मुझे उसपर पूरा भरोसा है। हमारे आने तक वह दुकान बहुत अच्छी तरह से संभाल लेगा देख लेना तुम।”
व्यापारी की बातें सुनकर उस नौकर की आंखे भर आती है क्यूंकि उसने आज तक खुदके बारे में इतनी अच्छी बातें नहीं सुनी थी। वह यह सोच रहा था की, “सेठ जी मुझपर इतने बिश्वास से उनकी इतनी बड़ी दुकान सोपकर जा रहे है और मैं उनकी गैर मौजूदगी में उनकी दुकान लूटकर भाग जाने की सोच रहा हूँ।” उसे बहुत बुरा लग रहा था। वह खुदसे नजरे नहीं मिला पाता।
फिर जब व्यापारी दूसरे गांव के लिए निकल जाते है तो वह नौकर उनकी दुकान संभालने लगता है। उसके मन में चोरी करने का विचार तो आता है की तभी उसे सेठ जी की बातें याद आ जाती है। वह बातें याद आते ही वह चोरी ही नहीं कर पाता।
सारे गांव वाले भी आश्चर्य हो जाते है की इस चोर ने अब तक चोरी कैसे नहीं की। फिर जब व्यापारी वापस आ जाता है तब सारे गांव वाले व्यापारी से बोलते है, “अरे सेठ जी आपके नौकर ने तो आपकी गैर मौजूदगी में आपकी दुकान बहुत अच्छी तरह से संभाली।”
यह देखकर व्यापारी और उसकी पत्नी भी बहुत खुश हो है।
व्यापारी अपने नौकर से जाकर कहता है, “अरे बाह, तुमने तो मेरी गैर मौजूदगी में बहुत अच्छी तरह से मेरी दुकान संभाली। गांव के लोग भी तुम्हारी प्रशंसा कर रहे है।”
वह नौकर बोलता है, “सेठ जी आपकी बजह से ही मैं यह कर पाया हूँ। आपने मुझपर इतना बिश्वास रखा इसलिए मुझमे यह बदलाब आया है और मेरा मन परिवर्तन हुआ है। लोगों के इतने बताने पर की मैं चोर हूँ फिर भी आपने मुझे काम पर रखा, मुझपर बिश्वास रखा इसलिए मैं एक अच्छा इंसान बन पाया हूँ। मैं आपका धन्यवाद करना चाहता हूँ। आपकी बजह से मैं लोगों के सामने अच्छा बन पाया हूँ।”
सेठ जी ने कहा, “दुनिया में दो तरह के लोग होते है एक अच्छे और एक बुरे लेकिन जिंदगी हर बुरे आदमी को अच्छा बनने की एक मौका जरूर देती है, जिसमे वह अच्छा इंसान बन सकता है। तुम्हे वह मौका मिला और तुम उसपर खड़े उतरे और सबको यह दिखा दिया की तुम भी एक अच्छे इंसान हो।”
तो इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की कोई भी इंसान कितना भी बुरा क्यों न हो अगर उसके साथ अच्छा बर्ताब किया जाए और उसपर बिश्वास रखने पर उसका वह इंसान बदल सकता है। और कोई भी इंसान मज़बूरी में ही गलत काम करता है। परिस्थितिया गलत होती है लेकिन इंसान नहीं।
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