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3 मजेदार हिंदी कहानिया | Short Hindi Stories For Kids

Posted on August 20, 2020

Contents

  • 1  3 Best Short Hindi Stories For Kids 
    • 1.1 (1) बुद्धिमान मछुआ – Short Hindi Stories For Kids
    • 1.2 (2) परेशान लोमड़ी – Short Hindi Stories For Kids
    • 1.3 (3) दो मित्र – Short Hindi Stories For Kids
    • 1.4 यह भी पढ़े:-

 3 Best Short Hindi Stories For Kids 

तो दोस्तों आज हम सुनेंगे 3 मजेदार हिंदी कहानिया 3 Short Hindi Stories For Kids जो की पड़ने में बहुत मजेदार है और इन कहानियों से आप सब अपने जीवन में बहुत कुछ सीख भी सकते है। तो चलिए दोस्तों / बच्चो इन 3 Short Hindi Stories को मजे से पढ़ते है।

(1) बुद्धिमान मछुआ – Short Hindi Stories For Kids

समुद्र के किनारे रहने वाला एक मछुआ एक दिन मछली पकड़ने के लिए समुद्र में गया। उसने जाल को समुद्र में डाला और इंतिजार किया। थोड़ी देर में जब जाल भारी लगने लगा मछुए ने तब जाल को बाहर निकाला। जाल में एक दो मछलियों के साथ साथ एक सीसा भी अटका था। मछुआ सीसे को देखकर आश्चर्य हो गया और सीसे के ढक्कन को खोला। खोलते ही उसमे से काला धुयाँ निकला। वह काला धुयाँ एक बड़ा सा बादल बना और उसमे से एक भूत निकल आया। मछुआ भूत को देखकर बहुत डर गया।

 

भूत भयानक आवाज में जोर जोर से हँसने लगा और बोला,

“कई साल पहले मैं बहुत ही शक्तिशाली था। लोक मुझसे बहुत डरते थे। लेकिन एक जादूगर ने मुझे इस सीसे के अंदर फँसाकर समुद्र में फेक दिया। बहुत सालो तक मैंने बाहर निकलने की कोशिश की लेकिन मैं असफल रहा। आज तुम्हारी बजह से मैं फिरसे बाहर निकल गया।”

 

मछुआ दंग रहा और कुछ भी बोल न पाया।

 

भूत फिरसे बोलने लगा,

“परन्तु मानव मुझे तुम्हे अब मारना पड़ेगा। मेरे इस सीसे से आजाद होने के बारे में सिर्फ तुम जानते हो।”

 

मछुआ भयभीत हो गया। तब उसको अपने दादाजी की एक कहानी याद  आई। फिर उसने बोला,

“प्रेत आत्मा मैं जानता हूँ की तुम मेरी जान लेने वाले हो लेकिन मेरी एक आखरी ख्वाहिश ही।”

 

भूत ने मछुए से पूछा,

“क्या है तुम्हारी आखरी ख्वाहिश? जल्दी बताओ।”

 

मछुआ बोला,

“प्रेत आत्मा तुम इतने बड़े पर्वत जैसे हो, मुझे समझ नहीं आया की तुम इतने छोटे से सीसे में कैसे घुस गए। यह बात मेरी समझ के बाहर है। क्या तुम मुझे दिखा सकते हो की यह मुमकिन कैसे है।”

 

भूत बहुत सालो बाद बाहर आने की ख़ुशी में अपनी बुद्धि खो बैठा और मछुए को उसके सवाल का जवाब देना चाहा।

 

भूत ने कहा,

“तुम मुर्ख मनुष्य के ऐसेही सवाल होते है। अब तुम देखो की मैं इतना बड़ा होने के बाबजूद भी इस सीसे में कैसे घुस सकता हूँ।”

 

ऐसा बोलकर भूत ने अपने रूप को छोटा किया और सीसे के अंदर घुस गया। मछुआ फटाफट ढक्क्न को सीसे के अंदर कसकर बंध करके सीसे को वापस समुद्र में फेक दिया। बुद्धिमान मछुए को आखिर में भूत से छुटकारा मिल गया।

 

(2) परेशान लोमड़ी – Short Hindi Stories For Kids

एक गांव में एक कौआ रहता था। उसको एक रोटी का टुकड़ा मिला और टुकड़े को लेकर एक पेड़ में जा बैठा। कौआ रोटी का टुकड़ा खाने ही वाला था की वहाँ पेड़ के निचे एक लोमड़ी आई। लोमड़ी बहुत भूखी थी। कौए के मुँह में रोटी का टुकड़ा देखकर उसके मुँह में पानी आ गया। यह देखकर लोमड़ी को पिछली बार की एक ऐसी ही घटना याद आ गई जब एक कौआ अपने मुँह में मांस का टुकड़ा पकड़कर रखा था और लोमड़ी ने उसको बोला, “कौआ कौआ एक गाना गाओ न।” बिना कुछ सोचे समझे वह कौआ गाने लग गया और मांस का टुकड़ा निचे गिर गया। लोमड़ी उसको उठाई और भाग गई।

इस घटने को याद करके लोमड़ी सोची की इस बार भी वह वही करके रोटी का टुकड़ा लेकर भाग जाएगा। लोमड़ी कौऐ की तरफ देखि और झूटी तारीफ करने लगी।

कौआ ने बोला,

“ओ कौआ तुम कितने अच्छे लगते हो। तुम्हारी आवाज भी बहुत मधुर होगी ऐसा मैंने सुना है। क्या यह सही है?”

कौआ लोमड़ी को जवाब नहीं देता है। लोमड़ी मन ही मन ही मन खुश होने लगी की सायद लोमड़ी उसके जाल में फँसने वाला था।

लोमड़ी ने कौए से बिनती की,

“ओ कौए मेरे लिए एक छोटा सा गाना गाओ न। मैं सुनकर अपने मन को खुश कर लू।”

लोमड़ी इंतजार कर रही थी की कब कौआ रोटी फैलाएगा और वह रोटी लेकर भाग जाएगा। लेकिन कौआ तो चालाक निकला।

कौए ने रोटी के टुकड़े को अपने पंजे में कसके पकड़ा और बोला,

“ओ लोमड़ी तुम्हे मेरा गाना सुनने की बहुत इच्छा है न तो सुनो।”

 

ऐसा बोलकर कौआ का का करके चिकने लगा।

 

लोमड़ी सोचने लगी,

“हाय! यह कौआ तो बड़ा चालाक निकला।”

 

लोमड़ी बहुत निराश होकर वहाँ से चली गई।

 

परेशान लोमड़ी को वहाँ से जाते हुए देखकर कौआ जोर जोर से हँसने लगा और कहा,

“दफा हो जाओ यहाँ से शातिर लोमड़ी। तुम्हे क्या लगा की मैं तुम्हारी चाल समझ नहीं पाया।”

 

अंत में कौआ ने पेट भरकर रोटी के टुकड़े खाए और वहाँ से ख़ुशी-ख़ुशी उड़ गई।

 

(3) दो मित्र – Short Hindi Stories For Kids

एक राज्य में विजयराज नाम का एक राजा था। वह बहुत कठोर और पत्थरदिल इंसान था। किसी की बात नहीं सुनता था। जो भी उसके बिरुद्ध आवाज उठाता था उसको वह कठोर से कठोर सजा देता था। उस राज्य में हरिराम और विनोद नाम के दो जिगरी दोस्त रहते थे। दोनों को एक दूसरे पर अन्धविश्वास था। राजा के अत्याचार देखकर वह चुपचाप नहीं बैठ पाए।
एक दिन हरिराम राजा के बिरुद्ध बात करने लगा। राजा के सैनिको ने यह सुना और तुरंत उसे गिरफ्तार किया और राजा के पास उठा ले गए। राजा के सामने भी हरिराम उनके बिरुद्ध ही बात कर रहा था। राजा को इस बात पर बहुत गुस्सा आया और अपने सैनिको को आदेश दी की वह हरिराम को कारागार में बंध कर दें।
इस बात का समाचार विनोद को मिलते ही वह अपने दोस्त से मिलने कारागार आता है।
कारागार आकर विनोद ने कहा,
“यह क्या हो गया? तुम्हारे लिए मैं कुछ भी करूँगा मेरे दोस्त। बताओ मैं तुम्हारी कैसे मदद कर सकता हूँ?”
हरिराम अपने दोस्त को देखकर बहुत खुश हुआ और बोला,
“मेरे दोस्त, मरने से पहले मैं अपनी माँ और बहन को देखना चाहता हूँ। उनके खुशाल जिंदगी के लिए सब प्रबंध करना चाहता हूँ। बस मैं और कुछ नहीं चाहता।”
विनोद तुरंत राजा के पास गया और अपनी दोस्त की आखरी ख्वाहिश के बारे में बताया।
उसने राजा से कहा,
“राजकुमार, मेरे दोस्त हरिराम को आप कुछ दिनों के लिए घर जाने दीजिए। जब तक वह वापस नहीं आ जाता मैं उसकी जगह ले लूंगा।”
राजा ने कहा,
“अगर तुम्हारा दोस्त फांसी के समय तक वापस नहीं आया तो सजा तुम ही को मिलेगी।”
विनोद ने राजा की बात मानली। विनोद का अपने दोस्त पर इतना अन्धविश्वास रखना, यह देखकर राजकुमार आश्चर्य चकित रह गया।
विनोद को जाने देने से पहले राजकुमार कारागार से हरिराम को बुलाया। और कहा,
“अगर तुम एक महीने के अंदर वापस नहीं आए तो तुम्हारी जगह तुम्हारे दोस्त विनोद को फांसी दी जाएगी।”
ऐसा बोलकर राजकुमार ने हरिराम को जाने दिया।
महीना बीत गया और हरिराम अभी तक वापस नहीं आया। उस दिन शाम को राजकुमार कारागार में गया और विनोद से बोला,
“जिंदगी में कभी भी किसी पर इतना भरोसा मत करना। अब देखो इतनी सी छोटी उम्र में तुम्हारी मौत होने वाली है। मुझे इस बात का बहुत दुःख हो रहा है। “
उसी समय हरिराम वापस आया और कारागार के अंदर प्रवेश किया। हरिराम अपने दोस्त विनोद के गले मिला और बोला,
“मैंने यहाँ जल्दी आने की बहुत कोशिश की लेकिन हो नहीं पाया। खेर तुम्हारि कृपया से मैं अपनी माँ और बहन से मिल पाया और उनके खुशाल जीवन के लिए बंदोवस्त कर पाया। मैं तुम्हारे आभारी हूँ दोस्त।”
राजा उन दोनों को देखकर बोला,
“आज तक मैंने ऐसी दोस्ती नहीं देखि जिसमे कोई अपनी जान को दाओ पर लगा सका। मुझे बहुत गर्भ है की मेरे राज्य में ऐसे लोग भी रहते है।”ऐसा
ऐसा बोलकर राजा ने दोनों दोस्त को छोड़ दिया और वापस अपने घर जाने को कहा। उस दिन से राजकुमार बहुत प्यार और अच्छाई से राज करने लगा।
तो दोस्तों आपको यह 3 हिंदी कहानिया “3 Short Hindi Stories For Kids” कैसी लगी निचे कमेंट करके जरूर बताए और अपने सभी प्रियजनों के साथ भी शेयर करें।
 
 

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