Mulaqat Romantic Hindi Love Story
Romantic Hindi Love Story, लड़के ने पहली बार स्कूल के मैदान में मुलाक़ात की। फुटबॉल मैच था। वह गोलकीपर है।
घुंगराले बाल, लंबी नाक, गहरी आंखे, सफेद टी-शर्ट। उसके माथे से थोड़ा थोड़ा करके पसीना टपक रहा था।
बॉल आकर सीधा मेरी साड़ी पर लगी। बॉल कीचड़ से भरा हुआ था। वह दौड़कर मेरे पास आया और सिर झुका लिया।
उसने कहा, “मैंने देखा नहीं।”
मैं इतना गुस्से में था की कुछ बोल भी नहीं पा रही थी की, “मेरी माँ की साड़ी है। अब पता है मुझे कितनी डाट पड़ने वाली है?”
मैं बस उसे घूर रहा था। वह धीरे से मुस्कुराया।
उस दोपहर तूफान भी था था। आंगन में हवा बह रही थी। हवा के बाद बारिश भी हुई।
हम दूसरी बार बस स्टैंड के सामने मिले। फिर शाम को। मैं कॉलेज में वापस आ गया हूँ।
आखरी सिगरेट खींचते हुए, उसने बाकि सिगरेट कूड़ेदान में फेक दी और दूर से कहा,
“साड़ी से मिट्टी के दाग निकले?”
मैंने न में अपना सिर हिलाया और मुस्कुराया।
उसने चुपके से उसे कहा,
“उस दिन बालों में फूल लगाया था…..! आप और भी सुन्दर लग रही थी।”
अचानक बिजली गिरी। वह चौंका, मैं चौंका। उस शाम तूफान आया था।
बारिश के कारन उस दिन बस रोक दी गई थी।
बिजली ऐसी गिरी की मैं डर गई।
तीसरी बार हमारी मुलाकात हुई एक नदी के किनारे। सुखी नदी।
मैंने नदी की और ऊँगली करके इशारा किया और कहा,
“उसे पानी चाहिए। बारिश चाहता है। एक भयानक लहर चाहता है। क्या आप समझे?”
उसने धीरे से कहा,
“मैं तुम्हे समझता हूँ।”
उस दिन बहुत जोरो की तूफान आयी। नदी में पानी भर आया। नदी के किनारे पर पेड़ की शाखाएं टूट गई। उस बीच दोनों में से किसी को भी प्यार के बारे में बात करते हुए नहीं सुना गया।
हम चौथी बार सड़क के कोने पर मिले। हाली में मैंने कॉलेज पास किया था। लेकिन कोई जॉब नहीं थी तब मेरे पास। हाथ खर्च के लिए दो टूशन पढ़ाती थी।
हाथ में पेन लेकर, सड़क के फुटपात पर निचे सिर झुककर चल रहा था। वह अचानक सड़क के बीच में खड़ा हो गया। और कहा,
“कैसे हो तुम?’
मैंने हमेशा की तरह अपना सिर हिला दिया।
वह सड़क से हट गया। एक तरफ खड़ा हो गया। और कहा,
“अच्छी बात है।”
मैंने उसे पीछे छोड़ा और चला गया। मैं दो फ़ीट आगे गया।
तभी पीछे से उसकी आवाज आई।
“क्या तुम पहले की तरह बालों को बांधती हो?”
इससे पहले की मैं पीछे मुड़कर देख पाता की तभी बारिश शुरू हो गई। मैं वहां से दौड़ा।
तूफान के भवंडर में बाल ढीले थे। बाल कमर से निचे गिर रहे थे।
आज उनसे मेरी आखरी मुलाकात है। स्टेशन परिसर पर। मैं ट्रैन से बाहर निकला तभी उसे देखा।
वह बैग लेकर सीढ़ी के निचे आ रहा था।
उसने मुझे देखा। लेकिन इस बार मुझसे कुछ कहा नहीं।
मुझे भी उससे बहुत कुछ कहना था। सोचा था की आज उससे मैं अपनी मन की बात बताऊंगी।
लेकिन यह क्या? वह तो बैग लेकर कही जा रहा था।
वह ट्रैन की ओर बड़े जा रहा था। और मैं उसे सिर्फ देखता ही जा रहा था। सोच रहा था, “क्या मुझे उसे पुकारना चाहिए?’
बहुत सोचने के बाद….मैंने आखिर उसे पुकार ही डाला।
उसने पीछे मेरी तरफ देखा। और कहा,
“क्या कुछ कहना है?’
मैंने निचे की तरफ फिरसे अपना सिर झुकाया। और कहने लगा,
“नहीं।”
वह अजीब सी सकल बनाकर मेरी तरफ देखने लगा। और मुझसे कहा,
“आज तुम बहुत प्यारी लग रही हो।”
यह सुन मुझे बहुत शर्म आ गई।
वह वहाँ से जाने लगा। लेकिन मैं कुछ बोल नहीं पाई उसे।
वह ट्रैन में चढ़ गया। ट्रैन से हाथ हिलाकर उसने कहा,
“अपना ख्याल रखना।”
वह चला गया। और मैं वही खड़ा खड़ा उसे देखता रहा। न मैंने मन की अपनी बात उसे बताई और न ही उसके सामने कुछ बोल पाई शर्म से।
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