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Malcha Palace True Story in Hindi

दिल्ली में बसे मालचा महल की असली कहानी | Malcha Palace True Story in Hindi

Posted on August 18, 2020

कहते है गुमनामी की कोई आवाज नहीं होती। खंडर दीवारे भी राज़ छुपाये रहती है। ऐसेही एक कहानि आज मैं आप सबको बताने वाली हूँ जो की है मालचा महल (Malcha Palace True Story in Hindi) के बारे में। मालचा महल (Malcha Palace True Story in Hindi) एक बहुत ही डरावनी जगह है जो नवाब खानदान की गुमनामी की सच है। दिल्ली के जंगलो में बीच में बसा एक महल है मालचा महल (Malcha Palace True Story in Hindi)। यह महल आज की तारीख में एक लावारिस खंडर है। और एक समय पर इस खंडर के भीतर एक जिंदगी जो शाही और नवाबी की निशानी थी वह अपने खंडर होने का बोझ लगातार ढोती रही है। और एक ही झटके में वह जिंदगी खत्म भी हो गई।

Malcha Palace True Story in Hindi

मालचा महल (Malcha Palace True Story in Hindi) दिल्ली के उन जगहों में से एक है जहाँ लोग आज भी जाने से पहले कई बार सोचते है। और बाकि लोग वहाँ न जाने की चेताबनी देती है। मालचा महल (Malcha Palace True Story in Hindi) का इतिहास 700 साल पहले शुरू होता है।

 

इसे फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ द्वारा बनाया गया था। इसे बनाने के पीछे सिर्फ एक ही मकसत था और वह यह की वह शिकार के समय यहाँ रहने के लिए आते थे। लेकिन पिछले कई दशकों से यहाँ अवध के नवाब वाजिद अली की परपोती बेगम विलायत महल अपने बेटे साइरस राजा महल और अपनी बेटी सकीना महल के साथ रहती थी।

 

हाल ही में राजा महल का इंतिक़ाल हुआ। और वही इस महल के आखरी वाइरस थे। उनके जाने के बाद फिर किसी ने इस महल में आने की कोशिश नहीं करी।

 

यह महल इतनी वीरान है की शाम के समय यहाँ से कोई जाने की हिम्मत नहीं कर सकता। आसपास के लोग बोलते है की रात में उनको यहाँ कुत्तो के भोकने के आवाज के साथ साथ किसी के रोने की आवाज भी आती है। बेगम विलायत महल मौत सन 1983 में हो गई थी।

 

बेगम की मौत के बाद उनकी लाश 10 दिनों तक पढ़ने-लिखने वाली टेबल पर पड़ी रही थी। और उनके बच्चे रो-रो कर उनके मौत का मातंग मनाते रहे। अब लोगों को इस महल से कोई आवाज सुनाई नहीं पड़ रही थी। तब सभी ने इसका फायदा उठाने का सोचा।

 

सभी को यही लग रहा था की विलायत महल में जरूर बेशुमार खजाना छुपा होगा। और फिर 24 जून 1994 का दिन आया जब कुछ लोगो उसी महल में खजाने की तलाश में घुस गए। तब वह दोनों भाई-बहन अंदर ही थे। इतने लोगों को आता देख वह पूरी तरह डर गए।

 

साथ ही उन्हें यह भी डर था की कही यह लोग खजाने की चक्कर में उनकी माँ की कब्र न खोद दे। उसके बाद मौका देख भाई-बहन ने खुद ही कब्र खोद दी और अपनी माँ की लाश को जला डाला ताकि कोई इस मृत शरीर को नुकशान न पहुँचा सके।

 

जब बेगम जीवित थी तब वह वक़्त था जब उनके पास 28 कुत्ते थे। लेकिन आसपास के लोगों ने उन सभी कुत्तो को जहर देकर मार दिया। इसके बाद से उस घर की बुरी किस्मत शुरू हुई मतलब अब वह घर भूतिया हो चूका था। सांप, बिच्छू, चमगादड़ जैसे जानवर उसे अपना घर बना चुके थे।

 

जब इस घर की ऐसी हालत हुई तब सरकार ने इसका निरिक्षण करने का सोचा। और SI के एक ऑफिसर धर्मवीर शर्माजी को इस महल की जाँच करने के लिए भेजा गया। जब वह उस घर में तलाशी कर रहे थे तब एक लंबा सा सांप छत के उपर से उनके उपर आ गिरा। धर्मवीर जी ने उसी वक़्त कहाँ की वह उस महल में कभी नहीं जाएंगे। पता नहीं बेगम इस महल में कैसे रहती थी।

 

1985 में जब भारत सरकार द्वारा बेगम विलायत महल को इस महल का मालिकाना हक़ मिला था तब इस टूटे हुए खंडर और चमकादड़ो से भरे हुए महल के लिए बेगम ने पुरे 9 सालो तक दिल्ली रेलवे स्टेशन में एक प्लेटफॉर्म में धर्ना दिया था। क्यूंकि वह एक राजघराने से तालुकात रखती थी ऐसेही कही भी रहना उनके लिए बहुत मुश्किल काम था।

 

जब रेलवे के ऑफिसर उनको धरने से हटाने के लिए आते थे तब बेगम के कुत्ते झपटकर सभी ओफ्फिसरो को दूर भगा देते थे। साथ ही रानी कहती थी की अगर कोई भी आगे आया तो वह सांप का जहर पीकर अपना जान दे देगी। उनका कहना था की वह अवध के नवाब वाजिद अली शाह के खानदान की राजकुमारी है तो इस नाते वाजिद अली शाह का यह महल उनका हुआ।

 

कमाल की बात यह थी की वह ऐसे महल का मालिकाना हक़ मांग रही थी जिसमे न दरवाजे थे न ही कोई खिड़की बस सांप, छिपकली और खूंखार जानवर उसमे घूमते रहते थे।

 

कहते है बेगम के मौत के बाद बेटी सकीना ने काले रंग के कपड़े ही पहने थे। कुछ साल बाद यह घर इतना भूतिया लगने लगा की एक दो रिपोर्टर इसकी जाँच करने आए। लेकिन सभी को हैरानी तब हुई जब वह दो रिपोटर्स कभी वापस ही नहीं आए।

 

जब इस महल को प्रतिबंधित किया गया था तब चार दोस्तों का एक ग्रुप महल के अंदर गया था। फिर उन्होंने बाहर आकर जो बताया वह हैरान कर देने वाला था। उन्होंने कहा की उन्होंने एक औरत को वहाँ देखा जो महल में घूम रही थी और बार-बार कुत्तो की भोकने की आवाजे आ रही थी। बर्तन अपने आप गिर रहे थे।

 

मालचा महल (Malcha Palace True Story in Hindi) के आखरी वाइरस रियाज़ ने अपनी सारी जिंदगी वही गुजारी और गुमनामी की जिंदगी ऐसी कटी की अंत दिनों तक राजा के पास खाने के लिए कुछ नहीं था। और भूखे पेट ही उनकी जान चली गई। कई ऑफिसर और नेताओ ने उनसे वादे किए पर सबके बयान झूठे थे सबके वादे झूठे निकले।

 

राजकुमार के पास एक साइकिल थी जिस पर सवार होकर वह कभी कभी बाहर निकला करते थे। और उनके पास जो भी सोना-चांदी पड़ा था उन सबको बेचकर उन्होंने कुत्तो के लिए खाने का प्रबंध किया। खुद भूख से मरकर राजकुमार की मौत हो गई। उनका अंतिम संस्कार दिल्ली गेट पर ही किया गया।

 

BBC के एक रिपोर्ट के अनुसार राजकुमार ने रिपोर्टर से एक इंटरव्यू में कहा की उनको विश्वास है की वह अपनी बहन से पहले मरेंगे और राजकुमारी परम्परा का पालन करते हुए मरेगी। रिपोर्टर ने पूछा अगर राजकुमारी पहले मर गई तो वह क्या करेगी? तो इसका जवाब उन्होंने कुछ नहीं दिया।

 

फिर सकीना राजकुमारी ने कहा की मुझे एक रिवोल्बेर दो तभी वह इंटरव्यू देगी। उन्होंने रिवोल्बेर नहीं दिया इसलिए कैमरे पर यह इंटरव्यू नहीं हो पाया। और यह भी कहा गया की राजकुमारी ने रिवोल्बेर इसलिए माँगा था क्यूंकि कैमरे पर वह अपनी जान देना चाहती थी और दुनिआ तक इस खानदान की बात पहुँचाना चाहती थी।

 

आज की तारीख में दिल्ली में सर्दार पटेल मार्ग के करीब एक किलोमीटर अंदर घने जंगलो में मालचा महल (Malcha Palace True Story in Hindi) वीरान खंडर और लावारिस अवस्था में खड़ा हुआ है।

 

दोस्तों आपको इस कहानी में “Malcha Palace True Story in Hindi” यह जानकारी कैसी लगी, निचे कमेंट करके जरूर बताए और इसे अपने बाकि दोस्तों के साथ भी शेयर कर दीजिए ताकि उन्हें भी मालचा महल की इस कहानी के बारे में पता चले।

 

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