Skip to content

Kahani Ki Dunia

Iss Duniya Mein Jane Kuch Naya

Menu
  • Home
  • Hindi Stories
  • Full Form
  • Business Ideas
  • Contact us
  • Web Stories
Menu
The Real Story of Titanic in Hindi

दुनिया का सबसे बड़ा जहाज टाइटैनिक डूबने की कहानी | The Real Story of Titanic in Hindi

Posted on April 27, 2020
आज हम इस लेख में आपको टाइटैनिक जहाज के डूबने की सच्ची कहानी (The Real Story of Titanic in Hindi) के बारे में बताने वाले हैं। उम्मीद करते हैं आपको इस लेख में टाइटैनिक जहाज के बारे में बहुत सारी ऐसी घटनाएं सुनने को मिलेगी जो आपने पहले सुना नहीं होगा।

The Real Story of Titanic in Hindi

 

10 अप्रैल 1912 को इंग्लैंड से न्यूयोर्क के लिए निकले RMS टाइटैनिक को देखकर यह कोई भी नहीं सोच सकता था की यह टाइटैनिक का पहला और आखरी सफर होगा। 4 दिन के यात्रा के बाद 14 अप्रैल 1912 को यह पता चला की टाइटैनिक एक बोहोत बड़े हादसे का शिकार हो गया है और इस घटना के करीब 3 घंटे बाद 15 अप्रैल 1912 को यह जहाज़ पूरी तरह से अटलांटिक महासागर के ठन्डे और बर्फीले पानी के निचे गायब हो गया। 

टाइटैनिक एकाला ही नहीं डूबा बल्कि अपने साथ 1500 ज़िन्दगी को भी लेकर डूबा। टाइटैनिक डूबने का कारन अटलांटिक महासागर की एक बड़े बर्फ के हिमखंड से टकराने की बजह से हुयी थी जिसके बाद इस जहाज में एक बोहोत बड़ा छेद हो गया जिससे जहाज में पानी भर गया और वे डूब गया लेकिन जब टाइटैनिक का निर्माण किया जा रहा था तो यह दाबा किया जा रहा था की यह जहाज बोहोत ही मजबूत है और कभी भी न डूबने वाला जहाज है।

The Real Story of Titanic in Hindi
Story of Titanic in Hindi

 

टाइटैनिक के निर्माण के लिए उस समय के सबसे उन्नत तकनीक का इस्तिमाल किया गया था। टाइटैनिक का  इतने आसानी से डूब जाना उस समय लोगो को बोहोत हैरान कर देनी वाली घटना थी क्युकी टाइटैनिक का बजन 46000 टन, लम्बाई 882 फिट, चौड़ाई 92 फिट और उचाई 175 फिट होने के बाबजूद इतनी आसानी से कैसे डूब सकता है। टाइटैनिक अपने समय का सबसे बिशाल जहाज था। इसके निर्माण के समय 8 मजदुर गिरकर मारे गए और 246 मजदुर घायल हो गए। 
टाइटैनिक को बनाने का काम 31 मार्च 1909 में 3000 लोगो की टीम दुयारा शुरू किया गया  31 मई 1911 तक टाइटैनिक के बनाने का काम खतम हुआ। उस समय की सबसे बढ़िया तकनीक और सबसे बढ़िया मैटेरियल्स से बने टाइटैनिक का एक बर्फीले चट्टान से टकराकर दो टुकड़ो में टूट जाना एक अबिश्वानिया घटना है और टाइटैनिक के डूबने के पीछे सोदकर्ताओं ने कई बड़े कारणों को जिम्मेदार ठराया है। 

जब टाइटैनिक अपने पहले और आखरी सफर पर निकला था उसी समय एक पत्रकार ने जहाज की एक तस्बीर खींची थी जिस तस्बीर में यह साफ दिख रहा था की जहाज के निचे एक काला निशान था और उस समय इस बात पर इतना धियान नहीं दिया गया लेकिन हादसे के बाद जब सोदकर्ताओं ने छानबीन शुरू की तो पता चला की टाइटैनिक के रवाना होने से पहले ही उसमे रखे कोयले में आग लग गयी थी और यह आग करीब तीन हप्ते से जल रही थी जिसपर किसीकी नजर ही नहीं गयी।

 

The Real Story of Titanic in Hindi
Story of Titanic in Hindi

 

 आग की वजह से जहाज के निचे का हिस्सा भी लाल पड़ चूका था और बिशाल अटलांटिक महासागर में टाइटैनिक के उसी हिस्से पर हिमखंड टकराया जगह आग में जलकर लाल पड़ चूका था। अगर उस समय लोगो ने उस आग पर धियान दिया होता तो हिमखंड  टकराने पर सायेद जहाज में छेद नहीं होता सिर्फ झटका लगता और टाइटैनिक नहीं डूबता। 
टाइटैनिक को चलाने के लिए प्रतिदिन 600 टन कोयले की जरुरत पड़ती थी। टाइटैनिक के पहली यात्रा को देखने के लिए उस समय करीब 1 लाख से ज़ादा लोग उसे देखने आये थे। टाइटैनिक जहाज पर स्विमिंग पुल से लेकर जिम और टेनिस कोर्ट सारे सुबिधाये वहा मौजूत थे और यह जहाज किसी महल से कम नहीं था। जहाज पर शराब से लेकर हर तरह के खाने की ब्यबस्थ्या थी। 
अटलांटिक महासागर में ऐसे छोटे बड़े हिमखंड तैरते रहते थे यह जहाज के कप्तान एडवर्ड स्मिथ को जहाज के रास्ते असेही बड़े हिमखंड की चेताबनी पहले ही दी गयी थी और उन्हें जहाज को धीरे चलाने का निर्देश भी दिया गया था लेकिन जहाज के कप्तान सायेद टाइटैनिक के प्रतिष्ठा में एक नया रिकॉर्ड जोड़ना चाहते थे वे टाइटैनिक को सबसे बड़ा होने के साथ साथ सबसे तेज होने का दर्जा भी दिलाना चाहते थे इसलिए वे हर हाल में जल्दी न्यूयोर्क पहुंचना चाहते थे।
The Real Story of Titanic in Hindi
Story of Titanic in Hindi

अगर जहाज की स्पीड थोड़ी कम होती तो उसके सामने हिमखंड आ जाने पर जहाज को आसानी से नियंत्रित करके मोड़ा जा सकता था लेकिन स्पीड ज़ादा होने के बजह से जहाज को नियंत्रित नहीं करा गया और जहाज हिमखंड से टकरा गया।

 

टाइटैनिक के पहले यात्रा में इस पर 2,228  लोग सफर कर रहे थे। जब जहाज में पानी भरने लगा  तो जहाज के कप्तान ने टक्कर के बाद भी जहाज को धीमी गति से आगे चलाना ठीक समझा क्युकी टाइटैनिक के हादसे की खबर सुनते ही एक दूसरे जहाज को टाइटैनिक के मदद के लिए रवाना कर दिया गया था लेकिन टाइटैनिक को दुर्घटना के बाद भी सहायता के लिए आये दूसरे जहाज की तरफ धीमी गति से चलाना काफी मेहेंगा पड़ गया क्युकी जहाज के आगे बढ़ने से वे पानी की दवाब से और ज़ादा टकराने लगा और पानी बोहोत तेजी से जहाज के अंदर घुसने लगा। 

जब जहाज के कप्तान को इस बात का पता चला तब तक जहाज के अगले हिस्से में इतना पानी भर चूका था की जहाज का वे हिस्सा पानी में डूबने लगा था और ऐसे में सभी यात्री जहाज के पीछे वाले हिस्से में दौड़ने लगे और जहाज का अगला हिस्सा पानी में डूबने लगा और जहाज कुछ समय तक सीधा खड़ा होकर बिच में से टूट गया और धीरे धीरे इसका पीछे का हिस्सा भी पानी में डूब गया और इसी के साथ 1570 लोगो ने अपनी जान खो दी। 
The Real Story of Titanic in Hindi
Story of Titanic in Hindi
टाइटैनिक अटलांटिक महासागर की जिस हिस्से में डूबा वहा पानी का तापमान -2 डिग्री सेल्सियस था जिसमे एक साधारण ब्यक्ति का 20 मिनट से ज़ादा ज़िंदा रहना नामुमकिन है। इसलिए कोई भी इंसान ज़ादा देर तक ज़िंदा नहीं रह पाया। मरने वाले जादातर मर्द थे क्युकी महिलाओं को पहले ही लाइफ बॉट्स की जरिये जहाज से दूर भेज दिया गया था। 

 

तो दोस्तों अगर आपको टाइटैनिक के बारेमे यह जानकारी पढ़कर कुछ जानने को मिला हो तो इस ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करे ताकि ऐसेही और असेही और भी रहस्मय कहानियां मैं आप तक पहले पहुँचा सकूँ। 

 

यह भी पढ़े:-

  • एक शैतान की असली कहानी
  • La Llorona की खौफनाक कहानी
  • Annabelle Doll की डराबनि कहानी, सुनकर दंग रह जाएंगे
  • ताजमहल का इतिहास और रहस्य
  • Bloody Mary राज की कहानी
  • पिरामिड की असली कहानी

 

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Post

  • NIOS Full Form: NIOS Board क्या है पूरी जानकरी हिंदी में
  • Top 5 High Salary Banking Courses in Hindi | Best Banking Jobs After 12th
  • KVPY Exam क्या है | What is KVPY Exam in Hindi
  • What is No Cost EMI in Hindi | No Cost EMI क्या होता है
  • NASA Scientist कैसे बने | How to Become a NASA Scientist
©2023 Kahani Ki Dunia | Design: Newspaperly WordPress Theme